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कोरोना वैक्सीन को लेकर तैयार है भारत का ग्लोबल प्लान, पड़ोसी देशों की होगी मदद, नहीं है पाक का नाम

एक अधिकारी ने बताया कि योजना को लेकर अभी फाइनल प्लान नहीं बना है इसको लेकर आखिरी रूप दिए जाना अभी बाकी है उदाहरण के लिए टीकों की आपूर्ति के लिए भारत(India) द्वारा तय किए गए किसी भी मंच को लाइसेंसिंग समझौतों का सम्मान करना होगा जो यह तय करेगा कि टीके(Vaccine) को कहां बेचा जा सकता है और कहां नहीं।

नई दिल्ली। कोरोना से जंग लड़ रहे भारत ने वैश्विक स्तर के लिए एक ग्लोबल प्लान बनाया है। इस प्लान के जरिए केंद्र सरकार कम पांच अलग-अलग तरीकों पर काम कर रही है। इस प्लान में नि:शुल्क टीकों से लेकर गारंटीकृत आपूर्ति तक शामिल है। भारत इस प्लान के जरिए पड़ोसी देशों की भी मदद करने का काम करेगा लेकिन फिलहाल इस लिस्ट से पाकिस्तान बाहर है।

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कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यहां तक ​​कि लैटिन अमेरिका के देशों के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों की मदद करना भी शामिल है। यह विचार राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए औऱ दुनिया में वैक्सीन की फैक्ट्री के रूप में उभर के आने का है।

आपको बता दें कि भारतीय कंपनियां दो टीकों पर काम कर रही हैं जो वर्तमान में क्रिनिकल ट्रायल के बीच में हैं। यह व्यवस्था बड़े पैमाने पर इन टीकों के लिए होगी, इसमें पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित टीके भी शामिल हो सकते हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। जिसके साथ एस्ट्राज़ेनेका सहित तीन कंपनियों की भागीदारी है।

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एक अधिकारी ने बताया कि योजना को लेकर अभी फाइनल प्लान नहीं बना है इसको लेकर आखिरी रूप दिए जाना अभी बाकी है उदाहरण के लिए टीकों की आपूर्ति के लिए भारत द्वारा तय किए गए किसी भी मंच को लाइसेंसिंग समझौतों का सम्मान करना होगा जो यह तय करेगा कि टीके को कहां बेचा जा सकता है और कहां नहीं।

सरकारी अधिकारी नीति आयोग के डॉक्टर वीके पॉल के नेतृत्व वाले टीकों पर विशेषज्ञों के समूह के परामर्श से योजना के विवरण पर काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक बार वैक्सीन के बनने और अप्रूव होने के बाद सरकार संभावित लाभार्थियों के साथ अग्रीमेंट साइन करेगी। अधिकारियों ने पड़ोसी देशों को शामिल करने को लेकर बताया कि इस प्लान में महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों को शामिल करने के लिए सावधानी से चुना जाएगा। ध्यान रखा जाएगा कि जहां बड़ी संख्या में भारतीय काम कर रहे हैं या अध्ययन कर रहे हैं और जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के लिए बहुत उपयोगी और सहायक रहे हैं, उन्हें शामिल किया जाय।

ऐसे पांच मॉडल पर विचार किया जा रहा है पांच मॉडलों में से पहला नि: शुल्क वितरण शामिल है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे आस-पास के पड़ोसी देशों तक सीमित हो सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी इस विचार का हिस्सा नहीं है और ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान चीनी टीकों पर निर्भर हो सकता है।

अधिकारियों ने कहा, दूसरा मॉडल भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के हिस्से के रूप में गरीब देशों को वितरित किए जा रहे भारी रियायती टीकों की आवश्यकता को शामिल करता है। कई अफ्रीकी देश इससे लाभान्वित हो सकते हैं। 15 अगस्त को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत घरेलू खपत के लिए कोविड -19 टीकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए तैयार है। जब भी वैज्ञानिक ट्रेल्स को मंजूरी देते हैं। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लाल किले की प्राचीर से उन्होंने कहा, “एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन कोरोनोवायरस के टीके भारत में टेस्ट किए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते, जब विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ढाका गए थे, उन्होंने एक प्रेस वार्ता में उल्लेख किया था कि जब भारत एक वैक्सीन के साथ तैयार होगा, “हमारे निकटतम पड़ोसी, मित्र, और साथी और अन्य देश इसका हिस्सा होंगे”।

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वैक्सीन पैनल में काम कर रहे एक अधिकारी ने बताया, तीसरे मॉडल में प्राप्तकर्ता देश शामिल हैं जो बाजार मूल्य पर टीके खरीदते हैं लेकिन उन्हें आपूर्ति का आश्वासन दिया जाता है। जब और टीके तैयार होंगे तो वे खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होंग। लेकिन सरकार द्वारा एक सख्त नियंत्रित चैनल के माध्यम से वितरित किए जाएंगे। इसलिए, भले ही कोई देश खरबों डॉलर पर बैठा हो, वह पूरी तरह इसे नहीं खरीद पाएगा। चौथे मॉडल के तहत कुछ देशों से भारत के तीसरे चरण के परीक्षणों में भाग लेने के लिए संपर्क किया जाएगा। पांचवें मॉडल में, भारत कुछ देशों को दो घरेलू टीकों के उत्पादन का अवसर दे सकता है – एक ऐसा कदम जो इन टीकों के उत्पादन में तेजी कर सकता है।

यह पूरी प्रक्रिया डॉक्टर पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में होगी।  7 अगस्त को, कैबिनेट सचिवालय द्वारा पैनल का गठन किया गया था और इसका जनादेश देश में उपयोग के लिए सही टीके की पहचान करना, बड़े पैमाने पर खरीद के लिए वित्त का प्रबंधन करना, और जनसंख्या समूह की प्राथमिकता तय करना भी है कि किसे पहली खुराक दी जाएगी।