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India’s DGMO General Rajiv Ghai On Operation Sindoor : भारत के डीजीएमओ जनरल राजीव घई ने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान को दी नसीहत, जानिए क्या कहा

India’s DGMO General Rajiv Ghai On Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत की तीनों सेनाओं के डीजी ऑपरेशंस की प्रेस ब्रीफिंग हुई। इस दौरान भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि हमारा एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन के सामने ढाल बनकर खड़ा रहा। हमारी वायु रक्षा प्रणाली को भेद पाना पाकिस्तान के बस में नहीं है।

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत की तीनों सेनाओं के डीजी ऑपरेशंस की प्रेस ब्रीफिंग हुई। इस दौरान भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि हमारा एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन के सामने ढाल बनकर खड़ा रहा। हमारी वायु रक्षा प्रणाली को भेद पाना पाकिस्तान के बस में नहीं है। इसी के साथ उन्होंने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान को नसीहत दी।

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि 1970 के दशक में जब मैं स्कूल में था, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मशहूर एशेज सीरीज चल रही थी। उस समय के ऑस्ट्रेलिया के दो दिग्गज तेज गेंदबाजों जेफ थॉमसन और डेनिस लिली ने इंग्लिश बल्लेबाजों पर जमकर कहर बरपाया था। ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने एक कहावत निकाली ली ‘राख से राख और धूल से धूल तक, अगर थॉमो आपको नहीं पकड़ता है, तो लिली निश्चित रूप से आपको पकड़ लेगा।‘ जनरल घई ने इशारा करते हुए कहा कि यदि आप इसे करीब से देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि मेरा क्या मतलब है। उन्होंने पाकिस्तान के लिए कहा कि भले ही वो सारे सिस्टम्स को पार कर भी गए तो उनको अपने टारगेट पर पहुंचने से पहले हमारे इस लेयर्ड ग्रिड का कोई ना कोई सिस्टम जरूर गिरा देगा।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज, शायद हमें क्रिकेट के बारे में भी बात करनी चाहिए। मैंने देखा कि विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। कई भारतीयों की तरह, वह मेरे भी पसंदीदा क्रिकेटरों में से एक हैं। डीजीएमओ जनरल घई ने कहा कि हमें स्पष्ट रूप से अंदाजा था कि पाकिस्तान का हमला सीमा पार से होगा। इसीलिए हमने पहले से ही अपनी हवाई रक्षा तैयार कर ली थी। हमने काउंटर-एयर मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण और हवाई रक्षा हथियारों को अपने भंडार में एकीकृत किया, जिससे भारतीय वायु सेना की समान प्रणालियों के साथ एक अनूठा मिश्रण बना। यही कारण है कि जब 9 और 10 मई की रात को पाकिस्तानी वायु सेना ने हमारे हवाई अड्डों और रसद प्रतिष्ठानों पर लगातार हमले किए, तो वे हमारी मजबूत हवाई रक्षा ग्रिड के सामने विफल हो गए।