नई दिल्ली। कल दोपहर से कार्तिक पूर्णिमा का गंगा स्नान शुरू होगा लेकिन इस विशेष स्नान की शुरुआत सोमवार की सुबह में होगी। बता दें कि सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा का शैव और वैष्णव, दोनों ही सम्प्रदायों में बहुत ही उत्तम महत्व है। माना जाता है कि इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध शिव जी ने किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसके अलावा इसी दिन गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था। ऐसे में इस दिन को प्रकाश और गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन दीप दान और गौ दान की अहमियत अधिक होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर अन्य प्रकार की दान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से सभी अज्ञात ग्रहों की समस्या को दूर किया जा सकता है।
गौरतलब है कि इस बार की कार्तिक पूर्णिमा सोमवार के सर्वाथसिद्धि योग में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन सभी प्रकार के स्नान और सभी प्रकार के दान का विशेष महत्व है। ऐसे में प्रातः काल स्नान के पहले संकल्प लें, इसके बाद फिर नियम और सात्विक तरीके से नदी या घर पर भी जलपात्र में गंगाजल डाल कर स्नान करें। वहीं स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें और सूर्य को अर्घ्य दें। फिर विष्णु मंत्र का मंत्र जप करें।
इसके बाद जो आपकी क्षमता हो और अपनी आवश्यकतानुसार दान करें। चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके दिन भर उपवास रख सकते हैं। वहीं रात्रि में चन्द्रमा का दर्शन कर देवताओं के निमित्त असंख्य दीप दान करना होगा। बता दें कि ज्योतिषाचार्य आचार्य राधाकान्त शास्त्री के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरंभ कल 12:35 से आरंभ होकर सोमवार को 2 बजकर 35 मिनट तक है। इसलिए सोमवार को प्रातः ब्रह्म वेला में स्नान दान का अधिक महत्व है। और संध्या काल सायं 6 बजे से 7 बजे तक असंख्य दीप जलाकर श्री हरि विष्णु के प्रसन्नता के लिए देव दीपावली करें। कल मध्याह्न के बाद से पूर्णिमा स्नान, दान, व्रत पूजन करने से श्री हरि विष्णु एवं महादेव की असीम कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे।