
नई दिल्ली। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से एक दिन पहले आज कहा कि मुझे लगता है, मैं अभी 30-40 साल और जीवित रहूंगा। वो बोले, कई भविष्यवाणियों को देखते हुए मुझे लगता है कि मुझ पर अवलोकितेश्वर (बौद्ध देवता) का आशीर्वाद है। मैंने अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है और आप सभी की प्रार्थनाओं का फल मिला है। उन्होंने हंसते हुए कहा, मैं 130 साल से ज्यादा जीना चाहता हूं जिससे बुद्ध धर्म और तिब्बत के लोगों की और अधिक सेवा कर सकूं। दलाई लामा का यह बयान उनके उत्तराधिकारी की घोषणा को लेकर चल रही अटकलों पर विराम के तौर पर माना जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित मक्लोडगंज में तिब्बतियों के मुख्य मंदिर त्सुगलाखांग में दलाई लामा की लंबी उम्र की कामना के लिए विशेष प्रार्थना समारोह का आयोजन किया गया था, यहीं दलाई लामा ने यह बात कही। दलाई लामा बोले, हालांकि हम अपने देश तिब्बत में नहीं हैं, भारत में निर्वासन में रह रहे हैं, लेकिन यहीं लेकिन यहीं रहते हुए मैंने लोगों की सेवा की है, मुख्यत: धर्मशाला में रह रहे लोगों की। दलाई लामा ने चीनी नेता माओ त्से-तुंग के साथ अपनी एक मुलाकात का भी जिक्र किया, जिसमें माओ ने धर्म को धीमा जहर बताया था। तिब्बती धर्मगुरु ने बताया कि मैंने माओ की इस बात का कोई जवाब न देते हुए उनके प्रति करुणा भाव को रखा था।
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि दलाई लामा अपने 90वें जन्मदिन पर अपने उत्तराधिकारी के नाम का ऐलान कर सकते हैं। हालांकि हाल ही में पहले ही दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उनका उत्तराधिकारी तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही चुना जाएगा और इसके लिए उन्होंने गादेन फोडरंग ट्रस्ट को जिम्मेदारी सौंपी है। उधर, चीन का कहना है कि हमारी मंजूरी और पहचान के बिना अगले दलाई लामा को मान्यता नहीं मिलेगी। इस पर मक्लोडगंज से चलने वाली तिब्बत की निर्वासित के प्रमुख पेनपा त्सेरिंग चीन पर पलटवार करते हुए कहा कि वो माओ का पुनर्जन्म खोजे, दलाई लामा का नहीं।