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जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी का भड़काऊ बयान- ‘मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है’

Jamiat chief Maulana Mahmood Madani’s : आपको बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख ने कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना मुसलमानों की फितरत बन चुकी है। हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन अपने मुल्क का नाम खराब नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम दर्द, नफरत और भेदभाव को बर्दाश्त कर रहे हैं, तो ये हमारी ताकत है न की कमजोरी।

नई दिल्ली। मौजूदा वक्त में देश में कई ऐसे मसले हैं, जिन्हें लेकर अभी बहस का सिलसिला जारी है। मीडिया में अभी इन मसलों का दबदबा अपने चरम पर पहुंच चुका है। कोई इनका विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन। लेकिन आपका इन मसलों पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा। लेकिन उससे पहले आप ये जान लीजिए कि आज यानी की शनिवार को उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत उलेमा ए हिंद के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें कई मुस्लिम नेताओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इस बीच जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी ने कई मसलों को लेकर अपनी राय जाहिर की है, जो कि अभी खासा सुर्खियां बटोर रही है। इस दौरान उन्होंने अपनी तकरीरों में ऐसा बहुत कहा जिसका कहीं विरोध हो रहा है, तो कहीं समर्थन। आइए, आगे हम आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कहा।

देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का जलसा

आपको बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख ने कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना मुसलमानों की फितरत बन चुकी है। हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन अपने मुल्क का नाम खराब नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम दर्द, नफरत और भेदभाव को बर्दाश्त कर रहे हैं, तो ये हमारी ताकत है न की कमजोरी। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने ही मुल्क में पराया बनाकर रख दिया गया है। आखिर कहां का इंसाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है। मदनी ने केंद्र की मोदी सरकार पर परोक्ष रूपए से निशाना साधते हुए कहा कि ये अखंड भारत की बात करते हैं, लेकिन आज सच्चाई तो ये है कि हिंदुस्तान में मुसलमानों का राह चलना भी मुश्किल हो चुका है।

देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में जुटे धर्मगुरु

उन्होंने आगे कहा कि आज देश जितना प्रभावित हो रहा है , उतना पहले कभी नहीं हुआ था। आज की तारीख में सत्ता में ऐसे लोग आ बैठे हैं, जो कि सदियों पुरानी भाईचारे की रीति को ध्वस्त करना चाह रहे हैं, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे। वहीं, कार्यक्रम में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कहा कि 2017 में प्रकाशित लॉ कमीशन की 267वीं रिपोर्ट में हिंसा के उकसावे के लिए कानून बनाने की मांग की गई थी। अब हालिया स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लॉ कमीशन की मांग पर विचार करने की बात कही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने ताजा हालात को गंभीर बताते हुए कहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए अलग विभाग बनाने का ऐलान किया है। लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभाग बना देने से समस्याओं का निपटारा नहीं हो सकता है। हमें इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा। लेकिन मौजूदा वक्त में जमीनी स्तर पर कोई भी काम देखने को नहीं मिल रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए अभी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर मस्जिद के लिए अभी लड़ने का समय नहीं रह गया है, लेकिन उन्होंने मोदी सरकार का नाम लिए बिना कहा कि सत्ता में बैठे लोग मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़ने का काम कर रहे हैं, जिस पर अतिशीघ्र ही हमें प्रयास करने होंगे, अन्यथा आगामी दिनों में स्थिति विकराल हो सकती है। बता दें कि उन्होंने उपरोक्त बयान ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर छिड़े विवाद को ध्यान में रखते हुए दिया है। बहरहाल, अब आगे चलककर यह पूरा मसला क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम