Jammu-Kashmir: सेब के बागान में खून के दाग, घाटी में आतंकियों की ‘शोपियां फाइल्स’

Jammu-Kashmir: बता दें कि घाटी में खून खराबे का एक लंबा अतीत है। लेकिन कश्मीर में साल 2022 में 114 आतंकी वारदात हुई है। जिसमें 31 सुरक्षाबल शहीद हुए हैं, जबकि इस आतंकी हमले में 24 आम नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस साल टारगेट किलिंग की वारदात में इजाफा हुआ है। इन जघन्य वारदात ने स्थानीय कश्मीरी नेताओं को सरकार और उसके प्रशासन पर सवाल खड़े करने का मौका दे दिया। 

Avatar Written by: August 16, 2022 8:43 pm
army operation 2

नई दिल्ली। घाटी में कश्मीरी पंडितों को अपनी जान की एक बार फिर से फ्रिक सताने लगी है। इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के शोपियां के चोटीपुरा में आज आतंकी हमला हुआ है। जहां अपने पृतक गांव में अपने सेब के बागान में काम कर रहे 2 कश्मीरी भाइयों पर आतंकियों ने अचानक फायरिंग कर दी। जिसमें एक भाई की मौत हो गई। जबकि दूसरा भाई अस्पताल में मौत की जंग लड़ रहा है। ये हमला उस वक्त हुआ है जब दोनों भाई सेब के बगीचे में काम कर रहे थे। इसी आतंकी हमले में सुनील भट्ट की मौत हो गई है, जबकि अस्पताल में भर्ती उनके भाई पिंटू कुमार की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं इस आतंकी हमले ने कश्मीरी पंडितों के पुराने जख्म को फिर से कुरेद दिया है। उस दहशत को फिर जिंदा कर दिया है। जिन दो भाइयों पर हमला हुआ उनके घरों में मातम पसरा हुआ है साथ ही परिजन गुस्से में है।

हैरान करने वाली बात ये है कि सरकारी स्तर पर तमाम घोषणाओं और आश्वसनों के बावजूद कश्मीरी पंडितों पर हमले थम नहीं रहे हैं। उधर कश्मीरी पंडितों पर हो रहे हमले को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर क्यों कश्मीर पर सरकार की नीति लगातार विफल साबित हो रही है। उधर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि केंद्र द्वारा संचालित सरकार वहां (जम्मू-कश्मीर) नाकाम साबित हुई। घाटी में प्रधानमंत्री का प्रशासन चलता है वो नाकाम साबित हुआ है। आज अपने कश्मीरी पंडितो को असुरक्षित कर दिया है।

बता दें कि घाटी में खून खराबे का एक लंबा अतीत है। लेकिन कश्मीर में साल 2022 में 114 आतंकी वारदात हुई है। जिसमें 31 सुरक्षाबल शहीद हुए हैं, जबकि इस आतंकी हमले में 24 आम नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस साल टारगेट किलिंग की वारदात में इजाफा हुआ है। इन जघन्य वारदात ने स्थानीय कश्मीरी नेताओं को सरकार और उसके प्रशासन पर सवाल खड़े करने का मौका दे दिया।

वहीं बीते दिन चार महीने की वारदातों पर नजर डाले तो 7 मई को पुलिसकर्मी हसन डार को गोली मारी गई। वहीं 12 मई को बडगाम में राहुल भट्ट को सरकारी दफ्तर में घुसकर गोली मारी गई। 17 मई को बारामूला में ग्रेनेड अटैक में रजीत सिंह की मौत हो गई। इसके अलावा 24 मई में श्रीनगर में एक पुलिसकर्मी के पिता मोहम्मद सैयद कादरी गोली मारकर हत्या कर दी गई। 25 मई को बडगाम में टीवी कलाकार अमरीन भट्ट की हत्या हुई। 31 मई को कुलगाम में टीचर रजनी बाला की गोली मारकर हत्या की गई। 2 जून को कुलगाम में बैंक मैनेजर में गोली मारकर हत्या की गई।

आतंकियों के इस बार के पैटर्न के निशाने पर बने शोपियां के दो कश्मीरी पंडित भाई सुनील भट्ट और पिंटू भट्ट। इसलिए अब सवाल उठ रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? इसके अलावा सवाल ये भी है कि आखिर ये टारगेट किलिंग कब थमेगी और उससे भी बड़ा सवाल ये है कि कश्मीर पंडित अपनी मातृभूमि और अपनी जन्मभूमि में रहने की कीमत कब तक अपनी जान से चुकाते रहेंगे?

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