नई दिल्ली। केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर के निवासियों के हकों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम करने जा रही है। इसके मुताबिक कश्मीर में नौकरी समेत विशेष सुविधाओं के लिए 15 साल के न्यूनतम निवास मानक को शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
यह नियम कश्मीरियों के मन में पनप रहे डर को दूर करने के लिए लागू किया जाएगा। हालाँकि, यह शर्त औद्योगिक घरानों के लिए लागू नहीं होगी। सरकारी नौकरियों, जमीनों के स्वामित्व, जम्मू-कश्मीर में व्यावसायिक और महाविद्यालयी शिक्षा में स्थानीय लोगों के आरक्षण की आशंकाओं को दूर करने के लिए केंद्र यह कदम उठाने जा रहा है।
इसके तहत 15 साल के निवास की अनिवार्यता शुरू करने के विकल्प पर बात की जा रही है। जम्मू-कश्मीर में कई संगठनों की ओर से यह मांग उठाई गई थी। उन्हें डर था कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद शैक्षणिक संस्थानों में नौकरियों, जमीनों और सीटों को लेकर हंगामा शुरू हो सकता है।
इस तरह की विशेष व्यवस्था हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर की जाएगी। नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में, यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत शामिल है जबकि अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग निवास के मानदंड हैं।