
नई दिल्ली। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सरकारी टेंडरों में मुस्लिम ठेकेदारों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योर्मेंट (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन के लिए मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कैबिनेट में इस निर्णय पर अपनी मोहर लगाई। सिद्धारमैया सरकार की तरफ से 7 मार्च को राज्य का बजट पेश होने के दौरान इस बात की पुष्टि की गई थी कि वो सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने जा रही है। उधर, बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन करार दिया है।
VIDEO | On Karnataka Cabinet approves amendment to KTPP Act for 4 per cent quota for Muslim contractors, BJP national spokesperson Nalin Kohli (@NalinSKohli) says, “Our constitutional scheme does not permit reservation on the basis of religion and the Karnataka govt’s decision… pic.twitter.com/QeRhB0noYH
— Press Trust of India (@PTI_News) March 15, 2025
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने कर्नाटक कैबिनेट द्वारा मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत कोटा के लिए केटीपीपी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दिए जाने पर कहा, हमारी संवैधानिक व्यवस्था धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देती है और कर्नाटक सरकार के निर्णय से स्पष्ट रूप से तुष्टीकरण की राजनीति की बू आती है। कर्नाटक सरकार वोट बैंक के दृष्टिकोण से मुस्लिम समुदाय को लाभ देकर अपने पक्ष में करना चाहती है। वास्तव में अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए कर्नाटक सरकार संवैधानिक योजनाओं को ताक पर रख रही है। यह संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। इससे कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे संविधान से परे जाकर काम करेंगे, इसका उन्हें जवाब देना चाहिए।
Delhi: On the Karnataka Cabinet approving a 4% quota for Muslim contractors in tenders, Congress MP Tariq Anwar says, “The government’s decision is based on its own assessment. Each state has the right to make its own decisions based on the needs of its people” pic.twitter.com/CcbYTzBHQV
— IANS (@ians_india) March 15, 2025
उधर कर्नाटक कैबिनेट द्वारा सरकारी निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत कोटा आरक्षित किए जाने के निर्णय पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, सिद्धारमैया सरकार का निर्णय उसके अपने आकलन पर आधारित है। हर राज्य को यह अधिकार प्राप्त है कि वो अपने लोगों की ज़रूरतों के आधार पर अपने निर्णय ले सके। आपको बता दें कि केटीपीपी अधिनियम को मौजूदा विधानसभा सत्र में ही पेश करने के बाद इसमें संशोधन किया जाएगा।