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संविधान में मूल अधिकार की लड़ाई लड़नेवाले संत का निधन, 47 साल पहले किया था ये ऐतिहासिक काम

संत केशवानंद भारती (Seer Kesavananda Bharati) का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। बता दें कि भारतीय संविधान के मूल स्ट्रक्चर को स्थिर रखने मेंं केशवानंद भारती का योगदान अहम है।

नई दिल्ली। संत केशवानंद भारती (Seer Kesavananda Bharati) का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। बता दें कि भारतीय संविधान के मूल स्ट्रक्चर को स्थिर रखने मेंं केशवानंद भारती का योगदान अहम है। संत केशवानंद भारती केरल के कासरगोड़ में एडनीर मठ के प्रमुख थे। उन्हें केरल सहित देशभर के लोग संविधान को बचाने वाले संत व महान शख्स के रूप में याद रखेंगे।

Seer Kesavananda Bharati

सांस लेने की तकलीफ और हृदय में दिकक्तों के चलते उन्हें मैंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे साल 1961 से मठ के प्रमुथ थे। संत होने के साथ-साथ एक क्लासिकल सिंगर भी थे। 15 साल तक उन्होंने यक्षगाना मेला में गायक और डायरेक्टर के तौर पर भाग लिया। उन्होंने मठ में कई साहित्यिक कार्यक्रम भी चलाया।

बता दें कि केशवानंद भारती सबसे पहले चर्चा में 1973 में आए थे, जब उन्होंने केरल सरकार (Kerala Government) के खिलाफ मठ की संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी थी। उस वक्त 13 जजों की बेंच ने संत केशवानंद के पक्ष में संविधान के मौलिक अधिकार को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। दरअसल केरल सरकार ने उस वक्त उनके मठ की संपत्ति पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी

Seer Kesavananda Bharati

इस फैसले के बाद भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में यह केस नजीर बन गया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केशवानंद भारती केस के नाम से जाना गया। बता दें कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 सदस्यीय संविधान पीठ बनाई। इस पीठ ने फैसला दिया कि संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्तियां सीमित हैं, हालांकि संसद मूल अधिकार में बदलाव नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को इंदिरा गांधी के लिए एक बड़ा झटका माना गया।