नई दिल्ली। देश में इस वक्त राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस चुनाव के लिए उम्मीदवारों को तैयार कर रहा है। विपक्षी की तरफ से तो काफी लंची चर्चा परिचर्चा के बाद यशवंत सिन्हा के नाम पर बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार मुहर लगा दी गई है। वहीं, सत्तारूढ़ दल की तरफ से दौपद्री मुर्मू के नाम पर बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मुहर लगाई जा चुकी है। हालांकि यहां ध्यान हो कि ये पहली बार नहीं है जब मुर्मू का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर सामने आया हो। इससे पहले साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल यानी कि द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा जोरों पर रह चुका है। हालांकि उस दौरान रामनाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगी और उन्हें ही राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया। आइए इस खबर में जानते हैं कि आखिर कौन हैं मुर्मू और कैसा रहा है अब तक का उनका सियासी सफर…
कहते हैं आपका काम ही आपके लिए अच्छे पल लेकर आता है। आपका काम ही आपकी उड़ान को तय करता है। इस बात का सीधा उदाहरण द्रौपदी मुर्मू को माना जाए तो ये गलत नहीं होगा। कल मंगलवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में करीब 20 नामों पर चर्चा के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में जिन नाम पर मुहर लगी वो द्रौपदी मुर्मू थीं। अगर उन्हें एनडीए की तरफ से जिन पद के लिए नामित किया गया है उसमें वो अगर सफल होती हैं तो किसी समय एक क्लर्क के पद पर काम कर चुकीं आदिवासी महिला मुर्मू पहली बार रायसीना हिल की सीढ़ियां चढ़ेंगी।
पॉइंट्स में जानिए द्रौपदी मुर्मू के बारे में खास बातें…
- 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में द्रौपदी मुर्मू का जन्म हुआ था। मुर्मू के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वो एक आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
- श्याम चरण मुर्मू से द्रौपदी मुर्मू की शादी हुई थी। इस शादी से उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। हालांकि इस शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने अपने पति और दोनों बेटों को खो दिया था।
- ऐसे में घर चलाने और बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू ने एक टीचर के रूप में अपना करियर शुरू किया और फिर ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद भी नौकरी की।
- इस क्लर्क की नौकरी से मिलने वाली कमाई से मुर्मू ने घर खर्च चलाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया। बेटी इति ने भी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली। इन दिनों इति मुर्मू रांची में रहती हैं और उनकी शादी झारखंड के गणेश से हुई है। इस शादी से दोनों की एक बेटी है जिसका नाम आद्याश्री है।
- साल 1997 में द्रौपदी मुर्मू ने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत हासिल की और अपने राजनीतिक जीवन को शुरू किया।
- मुर्मू ने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया और वो भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य के तौर पर भी रहीं।
- ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से द्रौपदी मुर्मू साल 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं।
- 2000 और 2004 के बीच ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में मुर्मू को वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री पद भी दिया गया।
- मई 2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई। मुर्मू ने सैयद अहमद की जगह ली थी। द्रौपदी मुर्मू को झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी।
- द्रौपदी मुर्मू के नाम झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी रहा है। इसके अलावा वो किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी हैं।
- अब अगर चुनाव में जीत दर्ज कर द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनती हैं, तो वो ओडिशा से देश की राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी शख्स होंगी। इससे पहले ओडिशा से वीवी गिरी देश के राष्ट्रपति रह चुके है।
- आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा और इसकी मतगणना 21 जुलाई को होगी। ध्यान हो कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। ऐसे में रामनाथ कोविंद के कार्यकाल से पहले ही नए महामहिम की तलाश तेज है।