President Droupadi Murmu: ‘हैलो…हैलो…आपको राष्ट्रपति चुनाव लड़ना है’, जानिए उस शाम किसने किया था द्रौपदी मुर्मू को ये फोन
द्रौपदी मुर्मू नई राष्ट्रपति हैं। छोटे से आदिवासी परिवार से सत्ता के शीर्ष तक वो पहुंची हैं। हालांकि, उनका ये सफर आसान नहीं रहा है। कभी अवैतनिक टीचर, तो कभी सरकारी क्लर्क। सारे झंझावात झेलकर भी वो अपने मिशन से कभी नहीं डिगीं। कम ही लोगों को पता है कि एनडीए की तरफ से उनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद हुआ क्या था।
नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू नई राष्ट्रपति हैं। छोटे से आदिवासी परिवार से सत्ता के शीर्ष तक वो पहुंची हैं। हालांकि, उनका ये सफर आसान नहीं रहा है। कभी अवैतनिक टीचर, तो कभी सरकारी क्लर्क। सारे झंझावात झेलकर भी वो अपने मिशन से कभी नहीं डिगीं। कम ही लोगों को पता है कि एनडीए की तरफ से उनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद हुआ क्या था। न्यूज चैनल ‘न्यूज 18’ ने इस बारे में द्रौपदी के गांव रायरंगपुर के रहने वाले विकास चंद्र महतो से बात की। महतो यहां बीजेपी के स्थानीय पदाधिकारी हैं। उन्होंने चैनल को बताया कि 21 जून को जब द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार बनाने का फैसला हुआ, तो पीएम नरेंद्र मोदी के दफ्तर से फोन किया गया। फोन लग नहीं सका, क्योंकि रायरंगपुर में उस वक्त मोबाइल कनेक्टिविटी सही नहीं थी।
इसके बाद पीएमओ से विकास चंद्र महतो के पास फोन आया। दरअसल, वो पहले कुछ वक्त तक मुर्मू के निजी सचिव का भी काम कर चुके हैं। ऐसे में पीएमओ के पास विकास का नंबर था। विकास के मुताबिक पीएमओ से कहा गया कि द्रौपदी जी से बात कराइए। पीएम मोदी लाइन पर हैं। विकास ने चैनल को बताया कि उस वक्त वो अपनी दुकान पर थे। फोन को होल्ड कराकर वो बाइक से मुर्मू के घर पहुंचे और फिर उनकी बात पीएम मोदी से कराई। मोदी ने तब द्रौपदी मुर्मू को बताया कि उनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया है। जिस वक्त मोदी का फोन आया, मुर्मू भोजन कर रही थीं। बाद में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके नाम का एलान करने के बाद फोन किया।
विकास चंद्र महतो ने बताया कि द्रौपदी मुर्मू चमक-दमक से दूर रहती हैं। वो ब्रह्मकुमारियों की ध्यान तकनीकों को अपनाती हैं। गहन अध्यात्म और चिंतन की तरफ उनका झुकाव अपने पति, दो बेटों, मां और भाई के निधन के बाद आया। इन सभी का निधन साल 2009 से 2015 के बीच हुआ था। मुर्मू के परिजनों के मुताबिक लगातार हो रही मौतों से द्रौपदी मुर्मू अवसाद में भी चली गई थीं। बाद में अध्यात्म की ओर झुकाव से वो खुद को इस मानसिक बीमारी से दूर कर सकीं।