नई दिल्ली। कहते हैं कि समय बड़ा ही बलवान होता है। जी हां…बिल्कुल ठीक ही पढ़ा आपने..यह समय का खेल नहीं तो और क्या है कि कल तक बीजेपी से छिटकने वाले लोग आज पार्टी में शामिल होने के लिए बेबात हो रहे हैं। कल तक खुद के माथे पर भाजपाई तगमा पहनने से गुरेज करने वाले ये लोग आज पार्टी आलाकमान से अनुनय विनय करने पर आमाद हो चुके हैं। कल तक जिन लोगों को बीजेपी में रहकर अपना सियासी भविष्य में अधर में नजर आता था, आज वही लोग खुद का सियासी भविष्य संवारने के लिए बीजेपी का दामन थामने को बेताब हैं, लेकिन अब पार्टी के आलाकमान भी अपने बूरे वक्त से सबक लेते हुए ऐसे ही किसी को पार्टी में शामिल नहीं करने वाली है। जी बिल्कुल…वो इसलिए…क्योंकि पंजाब में कुल 700 से ज्यादा तथाकथित सियासी सूरमाओं ने बीजेपी में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। इनमे से अधिकांश दूसरे दलों के नेता हैं। ऐसे में जिन लोगों को ऐसा लगता था कि पंजाब में बीजेपी की हालात दुरूह है। अब ऐसे लोगों अपनी सोच में तब्दीली लाने की जरूरत है।
यकीन मानिए….इन 700 आवेदनों को देखकर पार्टी के आलाकमान भी हक्का बक्का हो रहे हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर यह चमत्कार कैसे हो गया। आखिर कैसे कल तक बीजेपी से दूरी बनाने वाले लोग आज पार्टी में शामिल होने के लिए बेताब हो रहे हैं। बता दें कि यह वही लोग हैं, जिन्हें किसान आंदोलन के दौरान खुद को भाजपाई बताने से गुरेज हो रहा था और आज जब किसान आंदोलन दम तोड़ चुका है, तो यही लोग भाजपाई बनने के लिए बेताब हो रहे हैं। खैर, अब देखना होगा कि इनमे से कितने लोगों को आलाकमान की तरफ से आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी में शामिल किया जाता है और इनमे से कितनों को टिकट दिया जाता है।
बहरहाल, आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए टिकट लेने के लिए पहले से ही कई नेता कतार में लगे हुए हैं। ऐसे में पार्टी में शामिल होने वाले किसी नए नेता टिकट मिले। इसकी संभावना तो कम ही नजर आती है। बता दें कि कुछ दिनों बाद पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। सूत्रों से मिली जानमकारी के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने के लिए ज्यादा आवेदन जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, होशियारपुर, पठानकोट, मोहाली से आए हैं। क्योंकि इन जगहों पर हिंदू की आबादी अच्छी खासी है। अब ऐसे में इस बात पर सभा की निगाहें टिकी रहेंगी कि इन आवेदनकर्ताओं में से कितने लोगों को टिकट प्रदान किया जाता या कितनों का पत्ता काटा जा सकता है। खैर, बीजेपी में शामिल होने के लोगों में दिख रही इस बेताही ने एक बात तो साफ कर दिया है कि समय बड़ा ही बलवान होता है।