नई दिल्ली। दिल्ली के मसले पर एक बार फिर मोदी सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में टकराव देखने को मिल सकता है। इसकी वजह ये है कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को और अधिकार मिल गए हैं। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अब किसी भी प्राधिकरण, आयोग, बोर्ड या कानूनी तौर पर निकाय बना भी सकते हैं और इनमें नियुक्ति भी कर सकते हैं। राष्ट्रपति की तरफ से दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को ये अधिकार दिया गया है। इस बारे में मोदी सरकार के गृह मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना भी जारी कर दी।
President delegates Delhi LG the power to form and appoint members to any authority, board, commission, or statutory body under laws enacted by Parliament for Delhi: MHA pic.twitter.com/Ra9p3HfLDX
— ANI (@ANI) September 3, 2024
दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को राष्ट्रपति ने ताजा अधिकार एनसीआर दिल्ली शासन एक्ट 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी और संविधान के अनुच्छेद 239(1) के तहत दी है। अधिसूचना के अनुसार दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अब अगले आदेश तक दिल्ली में किसी भी आयोग, बोर्ड, प्राधिकरण और कानूनी निकाय का गठन, उसमें किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकेंगे। चाहे इन निकाय, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरण को किसी भी नाम से पुकारा क्यों न जाता हो। इस अधिसूचना के जारी होने के अलावा दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने एमसीडी की वार्ड समितियों के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश भी जारी कर दिया। जबकि, इससे पहले दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने एमसीडी वार्ड समितियों के चुनाव के वास्ते पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति न करने का फैसला किया था।
दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को मिले ताजा अधिकार के बाद अब मोदी सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में फिर टकराव देखा जा सकता है। इससे पहले मोदी सरकार ने 2023 में दिल्ली सरकार से संबंधित संशोधन बिल को पास कराया था। जिसमें अफसरों के सभी तबादले का अधिकार एक प्राधिकरण को दिया गया था। इस प्राधिकरण का अध्यक्ष दिल्ली के सीएम को बनाया गया था। जबकि, दिल्ली सरकार के 2 वरिष्ठ अफसर इस प्राधिकरण के सदस्य बनाए गए थे। इसका भी आम आदमी पार्टी सरकार ने विरोध किया था। वहीं, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकारी लेफ्टिनेंट गवर्नर को बताया था।