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खबर का असरः वीडियो और सूचना के जरिए दिल्ली सरकार तक पहुंची बात तो हरकत में आए सभी महकमे

मामला दिल्ली सरकार के अधीन आनेवाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल का था। इस अस्पताल में भी दिल्ली सरकार ने कोरोना का एक सेंटर बना रखा है।

नई दिल्ली। पूरी दुनिया अभी कोरोना की मार झेल रहा है। भारत में देर से ही सही इस वायरस ने आकर कोहराम मचाना शुरू कर दिया है। हालांकि केंद्र सरकार और राज्य की सरकारों की तरफ से मिलकर उठाए गए एहतियाती कदमों की वजह से इस संक्रमण का उतना प्रभाव अभी देश में देखने को नहीं मिल रहा है जितने की कल्पना दुनिया के अन्य देश कर रहे थे। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को लगा था कि भारत इससे निपटने में नाकामयाब रहेगा और वहां यह काफी तबाही मचाएगा। लेकिन सरकार के प्रयासों की वजह से अभी तक स्थिति नियंत्रण में है।

महाराष्ट्र के बाद दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां इस वायरस ने अपना पैर तेजी से फैलाना शुरू कर दिया है। घनी आबादी वाले दिल्ली शहर में लगातार इससे संक्रमित लोगों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक दिल्ली के 80 से ज्यादा इलाकों को हॉट स्पॉट घोषित किया जा चुका है। दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि यहां तेजी से टेस्ट भी किए जा रहे हैं ताकि इसके संक्रमण के हुए प्रसार का पता लगाया जा सके।

खबर का ये हुआ असर….

मामला दिल्ली सरकार के अधीन आनेवाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल का था। इस अस्पताल में भी दिल्ली सरकार ने कोरोना का एक सेंटर बना रखा है। जहां इस वायरस से संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करके उनका इलाज किया जाता है। इसी में अरविंद कुमार नाम के एक मरीज को भर्ती कराया गया था। उनकी पत्नी और उनकी बेटी ने इसके बाद जो अस्पताल के इस विभाग में मिलनेवाली सुविधाओं को लेकर कहा उससे तो दिल्ली सरकार के दावे बिल्कुल अलग दिख रहे थे। जहांगीरपुरी दिल्ली की रहनेवाली प्रतिभा गुप्ता जो अरविंद कुमार की बेटी ने बताया था कि उनके पिताजी 16 अप्रैल की रात को बेहोश हो गए जिसके बाद उन्हें फोर्टिस अस्पताल(Fortis hospital) शालीमार बाग में भर्ती कराया गया था। लेकिन बाद में 18 अप्रैल को उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया गया जिसके बाद उनको उसी दिन रात 9 बजे लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में रेफर कर दिया गया। लेकिन उन्हें वहां किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है।

न्यूजरूम पोस्ट की टीम ने इस खबर को प्रमुखता से अपने वेबसाइट पर जगह दी जिसके बाद दिल्ली सरकार हरकत में आई। आनन-फानन में अरविंद कुमार को स्पेशल रूम में शिफ्ट कर उनका ईलाज शुरू किया गया। उनके परिवार की मानें तो अब अरविंद कुमार को बेहतर इलाज मिल रहा है। हालांकि इस पूरे मामले पर दिल्ली सरकार अपना पीठ थपथपाती नजर आ रही है लेकिन उनको नहीं पता कि तब तक इससे जुड़ी सारी सच्चाई जनता के सामने आ चुकी थी।

इससे पहले इस तरह से दिल्ली सरकार तक खबर के जरिए पहुंची बात

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का दावा है कि इस महामारी से निपटने के लिए सरकार की तरफ से सारी व्यवस्था की गई है किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर रखी है। कोरोना संक्रमित लोगों का बेहतरीन इलाज कराया जा रहा है। उनको हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। दिल्ली सरकार तो यहां तक दावा कर रही है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों से ज्यादा अच्छी सुविधा दी गई है। डॉक्टरों को भी बेहतरीन व्यवस्था के तहत रूकने, खाने का इंतजाम किया गया है। साथ ही मरीजों को भी इसी तरह की सारी सुविधाएं दी जा रही है।

अरविंद केजरीवाल स्वयं और उनकी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन लगातार इस तरह के दावे करते आ रहे हैं लेकिन अभी जो मामला सामने आया है उससे यह समझना आसान हो जाएगा कि सरकार की तरफ से जो दावा किया जा रहा है उसमें कितनी सच्चाई है।


मामला दिल्ली सरकार के अधीन आनेवाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल का है। इस अस्पताल में भी दिल्ली सरकार ने कोरोना का एक सेंटर बना रखा है। जहां इस वायरस से संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करके उनका इलाज किया जाता है। इसी में अरविंद कुमार नाम के एक मरीज को भर्ती कराया गया है। उनकी पत्नी और उनकी बेटी ने इसके बाद जो अस्पताल के इस विभाग में मिलनेवाली सुविधाओं को लेकर कहा उससे तो दिल्ली सरकार के दावे बिल्कुल अलग दिख रहे हैं।

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जहांगीरपुरी दिल्ली की रहनेवाली प्रतिभा गुप्ता जो अरविंद कुमार की बेटी हैं उनकी मानें तो उनके पिताजी 16 अप्रैल की रात को बेहोश हो गए जिसके बाद उन्हें फोर्टिस अस्पताल(Fortis hospital) शालीमार बाग में भर्ती कराया गया था। लेकिन बाद में 18 अप्रैल को उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया गया जिसके बाद उनको उसी दिन रात 9 बजे लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

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जहां से उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को फोन किया और बताया कि उन्हें कोरेंटाइन सुविधा में ले जाया जा रहा है। इसके बाद उन्हें 9 घंटे के लिए एक कमरे में रखा गया और यह कहते हुए अस्पताल के वार्ड में भेज दिया गया कि आज बहुत देर हो चुकी है। लेकिन सोमवार की सुबह 5 बजे फोन आया तो पता चला कि उनका बुखार 102 डिग्री है और अभी तक ना तो उनको कोई सुविधा दी गई है ना उनकी जांच की गई है ना ही कोई डॉक्टर उनको देखने आया है। अरविंद कुमार शूगर और हाइपरटेंशन के मरीज हैं लेकिन उनके परिवार की मानें तो उनको कुछ खाने को नहीं मिल पा रहा है। ऊपर से ऐसे मरीज इस महामारी में हाई रिस्क जोन में होते हैं। फिर भी उनकी तरफ से उनके परिवार को यह बताया जा रहा है कि उनको देखने के लिए कोई डॉक्टर तक नहीं आ रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या केजरीवाल सरकार के दावे की हकीकत ये है? क्या कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज और सुविधाओं का जो दावा करके दिल्ली सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है उसकी हकीकत ये है?

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प्रतिभा गुप्ता और उसकी मां की मानें तो उन्होंने फोर्टिस अस्पताल(Fortis hospital) में डॉक्टरों से कहा था कि वह उनका इलाज प्राइवेट में करा सकते हैं लेकिन उनकी तरफ से कहा गया कि सरकार की तरफ से निर्देश है कि कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज सरकार द्वारा निर्धारित कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में ही होगा। ऐसा कहकर उनको रेफर तो कर दिया गया लेकिन अब उनकी जान पर बन आई है। प्रतिभा गुप्ता और उनकी मां ने ट्वीटर के जरिए पीएम मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मदद की गुहार लगाई है। इसके साथ ही प्रतिभा गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में बहुत अंतर है।