कोरोना के प्रसार पर रोक लगाने में नाकाम महाराष्ट्र सरकार, कंगना को काबू करने में जुटी
महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। सरकार के खिलाफ फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने आवाज उठाई तो उसके नए नवेले दफ्तर पर बीएमसी (BMC) का बुलडोजर चल गया।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। सरकार के खिलाफ फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने आवाज उठाई तो उसके नए नवेले दफ्तर पर बीएमसी (BMC) का बुलडोजर चल गया। कंगना को शिवसेना (Shivsena) की तरफ से जमकर धमकी दी जाने लगी। कंगना मुंबई एयरपोर्ट पहुंची तो शिवसैनिकों ने उनको काले झंडे दिखाए। शिवसेना समेत सभी साथी दल के नेता एक-एक कर कंगना पर जुबानी वार कर रहे हैं। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत (Sanjay Raut) तो कंगना के बयानों से इतना तिलमिला गए की कंगना के लिए अभद्र टिप्पणी करने से भी नहीं चुके। बीएमसी द्वारा कानून का हवाला देकर कंगना के कार्यालय में तोड़फोड़ को जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है तो वहीं इसके ठीक एक दिन बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में जो कुछ लिखा उसका शीर्षक रखा ‘उखाड़ दिया’। इस सब के बाद भी शिवसेना सरकार इस सारे मामले में कार्रवाई को उचित बता रही है वह भी तब जब महाराष्ट्र देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) से सबसे संक्रमित राज्य है। शिवसेना नित गठबंधन जिसमें शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस पार्टी सहयोगी है उसका ध्यान राज्य में कोरोना से बिगड़े हालातों को संभालने में कम और कंगना को जवाब देने में ज्यादा नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र में कोरोना के रिकॉर्ड मामले हर रोज दर्ज किए जा रहे हैं लेकिन अब सरकार इस पर कोई बात नहीं कर रही है। लेकिन कंगना को लेकर राजनीति जरूर तेज हो गई है। आपको बता दें कि शिवसेना नियंत्रित बीएमसी ने कंगना के दफ्तर के कथित अवैध निर्माण को तोड़ दिया, जिसके बाद से ही कंगना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर हमलावर हो गई हैं। कंगना को काबू में करने के लिए पूरी महाराष्ट्र सरकार जुट गई है, लेकिन राज्य सरकार कोरोना के बढ़ते प्रसार पर लगाम नहीं लगा पा रही है।
महाराष्ट्र में कोरोना की वजह से हालात कैसे बिगड़ रहे हैं इसका गवाह आंकड़े हैं। बुधवार को कोरोना के करीब 24 हजार से अधिक नए मामले राज्य में सामने आए। एक दिन में सामने आने वाले मरीजों का नया रिकॉर्ड है। बुधवार को महाराष्ट्र में 23 हजार 816 नए मामले सामने आए थे। इससे तीन दिन पहले एक दिन में 23 हजार 350 नए मामले सामने आए थे। अब महाराष्ट्र में कुल मरीजों का आंकड़ा 10 लाख के करीब पहुंच गया है। पूरे देश में सबसे ज्यादा बदतर हालत इस महामारी ने महाराष्ट्र की कर दी है। लेकिन उद्धव सरकार को इससे ज्यादा कंगना रनौत के मामले में ध्यान लगाते साफ देखा जा सकता है।
इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि उद्धव सरकार जितनी क्षमता कंगना रनौत के मसले पर लगा रही है, अगर उसका 50 फीसदी भी कोरोना से लड़ाई में लगा लेती तो इतने लोगों की जान ना जाती। महाराष्ट्र सरकार को लगता है कि उनकी लड़ाई कंगना से है ना कि कोरोना से। कोरोना से कितने लोग मर रहे हैं लेकिन सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।
अब एक बार कोरोना से महाराष्ट्र में उपजे हालात पर नजर डालते हैं। महाराष्ट्र में कुल मरीजों का आंकड़ा 9 लाख 67 हजार 349 है, जिसमें से 27 हजार 787 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को ही महाराष्ट्र में 325 लोगों की मौत हुई थी। अब तक 7 लाख से अधिक मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि एक्टिव केस की संख्या 2 लाख 61 हजार से अधिक है। अकेले पुणे में 65 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
जिस बीएमसी ने कंगना रनौत के दफ्तर को 24 घंटे के नोटिस के बाद तोड़ दिया, वह कोरोना को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार को 2227 नए मामले सामने आए और 43 लोगों की मौत हो गई। अब मुंबई में कुल मरीजों की संख्या 1 लाख 60 हजार को पार कर गई है, जिसमें करीब 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
अब एक बार प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग पर भी नजर डाल लें। जिस राज्य में कोरोना के इतने एक्टिव केस हैं उस महाराष्ट्र में अब तक महज 48 लाख सैंपल का टेस्ट किया गया है। इसमें से 9 लाख 67 हजार लोग संक्रमित मिले हैं। यानी करीब 20 फीसदी लोग संक्रमित हैं। 16 लाख से अधिक लोग क्वारनटीन हैं, जबकि 37 हजार से अधिक अलग-अलग सरकारी जगहों पर क्वारनटीन हैं। मतलब साफ है कि सरकार टेस्टिंग पर ध्यान नहीं दे रही नहीं तो अभी तक राज्य में कोरोना को नियंत्रित करने में मदद मिल गई होता।