अंतरिक्ष तकनीक से भविष्य में होने वाली लड़ाइयों की काट है ‘मिशन शक्ति’

भारतीय वैज्ञानिकों ने मिशन शक्ति से अंतरिक्ष में उपग्रह मार गिराने की क्षमता का सफल प्रदर्शन किया। भारत ने सही मायनों में खुद को अंतरिक्ष की एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है।

Avatar Written by: February 8, 2020 11:51 am
mission shakti

नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने मिशन शक्ति से अंतरिक्ष में उपग्रह मार गिराने की क्षमता का सफल प्रदर्शन किया। भारत ने सही मायनों में खुद को अंतरिक्ष की एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है। अंतरिक्ष तकनीक से भविष्य में होने वाली लड़ाइयों की काट के रूप में इसे देखा जा रहा है। भारतीय रक्षा और अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके इसे विकसित किया है। मिशन शक्ति का एक मॉडल डिफेंस एक्सपो 2020 की प्रदर्शनी में आर्कषण का केन्द्र बनी है।


डीआरडीओ के वैज्ञानिक एम साहू ने बताया कि अब तक रूस, अमेरिका और चीन के पास ही यह क्षमता थी और इसे हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह तीन माह में बनाया गया है। उन्होंने बताया कि भारत और सेना की शक्ति को मजबूत बनाने का काम किया गया है।

mission shakti

साहू ने बताया कि मिशन शक्ति एंटी सैटेलाइट है। यह एक त्रिस्तरीय सैटेलाइट है जो 13 किलोमीटर लंबी होती है। अगर इसका लक्ष्य अपना रास्ता भी बदल दे तो भी ये आने वाले दुश्मन को खोज कर नष्ट कर देती है। लियो (लो अर्थ आर्बिट) सैटेलाइट इसके निशाने पर रहती है। यह 1000 किलोमीटर ऊपर और 700 मीटर नीचे जाकर निशाने को नष्ट कर सकती है। 27 मार्च 2019 को इसका पहला सफल टेस्ट हुआ था।

mission-shakti
साहू ने बताया कि यह प्रति सेकेंड 10 किमी के हिसाब से चलता है। यह तीन चरण में चलता है। इसका वजन 19 टन है। इसको नियंत्रित करने के लिए डाइवर्ट एटीट्यूड कन्ट्रोल सिस्टम का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का निशाना किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने पर होता है। मिशन शक्ति से उपग्रह को नष्ट करना वर्तमान समय की मांग थी, क्योंकि अंतरिक्ष तकनीकी से भविष्य में होने वाले युद्ध या कोई बड़ी परेशानी में यह सार्थक साबित होगा।

mission shakti missileउन्होंने कहा कि बात-बात पर चीन हमें आंख दिखाता है। इन्हीं सब रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर इसे विकसित किया गया है। अगर दुश्मन देश के सैटेलाइट को नष्ट कर दिया जाता है तो उनका अपने लोगों से सम्पर्क टूट जाता है और सैन्य कार्रवाई करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन पर काबू पाने में कोई परेशानी नहीं होती। मिशन शक्ति से उपग्रह को नष्ट करना वर्तमान समय की मांग थी, क्योंकि अंतरिक्ष तकनीकी से भविष्य में होने वाले युद्घ या कोई बड़ी परेशानी में यह सार्थक साबित होगा। सबसे पहले अमेरिका ने इसका निर्माण ने किया था।
Drdoज्ञात हो कि वर्ष 2007 में चीन ने जब अपने एक खराब पड़े मौसम उपग्रह को मार गिराया तब भारत की चिंता बढ़ गई थी। उस समय इसरो और डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से ऐसी एक मिसाइल को विकसित करने की दिशा में अपने प्रयास तेज कर दिए थे।

27 मार्च को भारत ने मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल ए सेट से तीन मिनट में एक लाइव भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। अंतरिक्ष में 300 किमी़ दूर पृथ्वी की निचली कक्षा में घूम रहा यह लाइव सैटेलाइट एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था। हलांकि आज तक किसी भी युद्घ में इस तरह के मिसाइल का उपयोग नहीं किया गया है, फिर भी अपनी क्षमताओं का एहसास कराने के लिए इस प्रकार के प्रयोग जरूरी है।

 

Latest