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बढ़ती महंगाई के बोझ को कम करने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम, साल में दो बार बढ़ेगी आपकी सैलरी

इस महंगाई भरे दौर में कौन नहीं चाहेगा की इसका बोज हल्का हो जाए और सैलरी में बढ़ावा हो जाए। नौकरी करने वालों को इसी बात का इंतजार होता की आखिर उनकी सैलरी कब बढ़ेगी। तो लीजिए केंद्र सरकार ने आपकी सुन ली।

नई दिल्ली। इस महंगाई भरे दौर में कौन नहीं चाहेगा की इसका बोज हल्का हो जाए और सैलरी में बढ़ावा हो जाए। नौकरी करने वालों को इसी बात का इंतजार होता की आखिर उनकी सैलरी कब बढ़ेगी। तो लीजिए केंद्र सरकार ने आपकी सुन ली। बता दें, अब साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार बढ़ेगी आपकी तनख्वाह। इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं है

PM Narendra Modi

दरअसल केंद्र सरकार ने कर्मचारियों पर बढ़ती महंगाई के बोझ को कम करने के लिए एक पहल शुरू की है। जिसके तहत इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले करीब 3 करोड़ कर्मचारियों का महंगाई बढ़ने के हिसाब से हर 6 माह में वेतन बढ़ता जाएगा।

मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने ऐसे कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ा एक नया आधार तय किया है, जिनका महंगाई भत्ता इस महंगाई सूचकांक से जुड़ा होगा। वहीं मुख्य श्रम एवं रोजगार सलाहकार बी एन नंदा के नेतृत्व में एक त्रिपक्षीय समिति की 27 फरवरी को एक बैठक हुई थी।

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इस बैठक में इंडस्ट्रियल सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक नई सीरीज के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) को मंजूरी दी गई थी। इसके लिए 2016 को आधार वर्ष बनाया गया था। एक अनुमान के मुताबिक मोदी सरकार के इस फैसले से देश में संगठित इंडस्ट्रियल सेक्टर के 3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का आकलन हर 6 महीने पर होता है। इस काम को अंजाम देने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू का सहारा लिया जाता है।

लेकिन 2001 के बाद सीपीआई-आईडब्ल्यू में संशोधन नहीं हुआ है, जबकि इसमें हर 5 साल में बदलाव की जरूरत है। 7वें वेतन आयोग के दौरान केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र में कर्मचारी संघ भी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू के आंकड़ों का सहारा लेते हैं।

CPI GDP

गौरतलब है कि CPI का पुराना आधार मौजूदा गणना के अनुरूप नहीं है, क्योंकि पिछले दो दशकों में उपभोक्ता प्रारूप में खासा बदलाव आया है। महंगाई की गणना के लिए कुछ खास वस्तु और सेवाओं पर नजर रखी जाती है।