नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर से किसी की भी जासूसी करने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दिए सिर्फ 2 पेज के हलफनामे में मोदी सरकार ने यह बात कही है। इसके साथ ही सरकार ने अपने हलफनामे में एक और खास बात कही है। यह खास बात हम आपको बताने जा रहे हैं। खास बात ऐसी है, जो इस मामले के गुब्बारे को फुला रहे विपक्ष को तगड़ा झटका दे सकता है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पेगासस मामले पर उसने संसद के दोनों सदनों में अपनी बात रख दी है। सरकार ने कहा है कि इस बारे में अभी और कुछ करने की जरूरत नहीं दिखती, लेकिन कुछ लोग स्वार्थ के लिए इस मसले को गलत तरीके से उछाल रहे हैं। सरकार ने कहा है कि इस मामले पर जांच कराने की उसकी मंशा है। इस जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई जाएगी। बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी कराए जाने का आरोप लगाकर कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। इन लोगों ने सरकार पर उनकी निजता का उल्लंघन का आरोप लगाया है।
19 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले देश-विदेश के 17 मीडिया संस्थानों ने एक लिस्ट जारी की थी। जिसमें ऐसे लोगों के नाम थे, जिनकी जासूसी पेगासस से कराए जाने की बात कही गई थी। इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा मचा था। यहां तक कि आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जब बयान दिया, तो राज्यसभा में उनके हाथ से कागज लेकर विपक्ष के सांसदों ने फाड़ दिया था।
मजे की बात ये है कि जिन 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस से जासूसी के मामले को उठाया, उन्होंने सभी नामों के साथ Potentially लिखा था। जिसका मतलब होता है कि इनकी जासूसी शायद की गई हो। यहां तक कि राहुल गांधी ने अपने फोन की जांच तक नहीं कराई, लेकिन मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि राहुल की भी जासूसी कराई गई। मोदी सरकार और बीजेपी की तरफ से इस मामले में कहा गया था कि इन लोगों को अपने फोन की जांच करानी चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में सवाल उठाया था कि ये मामला 2 साल पुराना है और पीड़ित लोगों ने निजता के हनन के बाबत पुलिस से शिकायत क्यों नहीं की ?