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Petrol Price: पेट्रोल-डीजल पर कमाई से ज्यादा आम लोगों पर खर्च कर रही मोदी सरकार, आंकड़े बता रहे कि विपक्षी राज्य काट रहे जेब

रिजर्व बैंक यानी RBI की रिपोर्ट कहती है कि मोदी सरकार ने साल 2014-21 के बीच पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से 26.5 लाख करोड़ कमाए। अब जरा खर्च भी देख लेते हैं। इस दौर में मोदी सरकार ने विकास पर 90.9 लाख करोड़ खर्च किए।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कोरोना के मसले पर सभी राज्यों के सीएम के साथ बैठक में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट का मुद्दा उठाया था। मोदी ने कहा था कि तमाम राज्य वैट घटाकर आम जनता को राहत दे सकते हैं। अब ऐसे में विपक्षी दलों ने ये सुर अपनाया है कि पहले मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाए। एक्साइज ड्यूटी को केंद्र सरकार और वैट को बीजेपी शासित सरकारें पहले ही घटा चुकी हैं। विपक्षी सरकारों ने इस बारे में कदम नहीं उठाया है। विपक्ष ये आरोप भी लगातार लगाता है कि मोदी सरकार एक्साइज के जरिए काफी कमाई कर रही है। जबकि, आंकड़े बता रहे हैं कि साल 2014 से 2021 तक पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से केंद्र सरकार ने जो कमाई की, उससे ज्यादा लोगों के हित और अन्य विकास कार्यों पर खर्च कर दिए हैं।

तो पहले देख लेते हैं कि पेट्रोल पर वैट का खेल आखिर क्या है। पहले बात बीजेपी शासित राज्यों की कर लेते हैं। यूपी में 1 लीटर पेट्रोल पर सरकार 16.50 रुपए वैट ले रही है। हिमाचल में 16.60 रुपए, गुजरात में 16.56 रुपए, असम में 17.32 रुपए और उत्तराखंड में 14.51 रुपए वैट एक लीटर पेट्रोल पर लिया जा रहा है। अब विपक्ष शासित राज्यों के वैट के आंकड़ों पर गौर कीजिए। राजस्थान में 1 लीटर पेट्रोल पर 29.10 रुपए वैट है। पश्चिम बंगाल में 26.24 रुपए वैट लिया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार 32 रुपए, केरल की सरकार 27.24 रुपए और आंध्र प्रदेश सरकार 31.59 रुपए का वैट हर लीटर पेट्रोल पर वसूल रही है।

PM modi Petrol pump

अब बात विपक्ष के उस आरोप की कि मोदी सरकार ने पिछले 7 साल में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज लगाकर जबरदस्त कमाई की है। तो रिजर्व बैंक यानी RBI की रिपोर्ट कहती है कि मोदी सरकार ने साल 2014-21 के बीच पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से 26.5 लाख करोड़ कमाए। अब जरा खर्च भी देख लेते हैं। इस दौर में मोदी सरकार ने विकास पर 90.9 लाख करोड़ खर्च किए। इनमें 26 लाख करोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर, 25 लाख करोड़ खाद्य, खाद और ईंधन की सब्सिडी पर और 10 लाख करोड़ स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसी योजनाओं पर खर्च किए हैं। यानी यहां भी विपक्ष का आरोप धराशायी हो गया है।