सर्वे में हुआ खुलासा : चीनी नागरिक अपनी सरकार से ज्यादा मोदी सरकार से हैं खुश

बता दें कि चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Chinese mouthpiece, Global Times) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकांश चीनी अपने नेताओं से ज्यादा PM मोदी की कार्यप्रणाली से खुश हैं।

Avatar Written by: August 27, 2020 11:12 am
PM Modi and Jinping

नई दिल्ली। पीएम मोदी की लोकप्रियता पूरी दुनिया में है। हर देश में उनके चाहने वाले आपको मिल जाएंगे। पड़ोसी देश भी इससे अछूते नहीं हैं। चीन, जिसके साथ पिछले कई महीनों से लद्दाख सीमा पर गतिरोध बना हुआ है, उस देश के नागरिक भी मोदी सरकार से ज्यादा खुश नजर आए हैं। बता दें कि चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Chinese mouthpiece, Global Times) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकांश चीनी अपने नेताओं से ज्यादा PM मोदी की कार्यप्रणाली से खुश हैं।

Global times

सर्वे के मुताबिक, लगभग 50 प्रतिशत चीनी नागरिक बीजिंग के अनुकूल प्रभाव रखते हैं, जबकि 50 फीसदी लोगों ने भारत की मोदी सरकार (Modi government) की सराहना की है। लगभग 70 फीसदी मानते हैं कि भारत में चीन विरोधी भावना काफी ज्यादा हो गई है। वहीं, 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा। सर्वेक्षण में शामिल नौ फीसदी लोगों का मानना है कि भारत-चीन के रिश्तों में सुधार अल्पावधि के लिए होगा,  जबकि 25 प्रतिशत के अनुसार, दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे।

PM Modi and jinping

इस बीच, चीन की सबसे बड़ी टेक कंपनी हुआवेई (Huawei) भारत के सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित कर भारत को लुभाने की कोशिश कर रही है। Huawei द्वारा यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है कि भारत के साथ उसका रिश्ता काफी पुराना है। वह पिछले 20 वर्षों से यहां कारोबार कर रही है और हमेशा भारत के हितों के लिए प्रतिबद्ध है।

दरअसल, लद्दाख हिंसा के बाद से चीनी कंपनियां भारत सरकार की हिटलिस्ट में हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हुआवेई और अन्य चीनी कंपनियों से चरणबद्ध ढंग से रिश्ते खत्म करना चाहता है। औपचारिक प्रतिबंध के बजाय, भारत ने कथित तौर पर दूरसंचार कंपनियों को साफ कर दिया है कि चाइनीज गियर से दूर रहें।

Huawei

चीन की चालबाजियों और उसकी कंपनियों की गाइडलाइन्स के चलते कई देशों ने प्रतिबंध की तलवार चलाई है। जैसे हुआवेई पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया में पूर्ण प्रतिबंध का सामना कर रहा है। न्यूजीलैंड में भी इसे आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया गया है। हुआवेई के सीएफओ मेंग वानझोउ कनाडा में प्रत्यर्पण की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। अमेरिका ईरान प्रतिबंधों के कथित उल्लंघन पर उनकी हिरासत चाहता है। कनाडा और चीन एक कूटनीतिक युद्ध लड़ रहे हैं, वहीं हुआवेई क्रॉसफायर में फंस गई है। इसलिए वह विज्ञापनों के जरिये भारत में खुद को बचाने की कोशिशों में लगी है।