newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

अयोध्या : भूमि पूजन से पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने धमकी देते हुए कही ये बात

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है।

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आज भूमि पूजन का कार्यक्रम होगा जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम से पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक ट्वीट के जरिए अपने लोगों से कहा है कि, ‘दुखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।’ बोर्ड ने अपने ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अन्यायपूर्ण बताया है।

Ram Mandir Supreme Court

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवादित ढांचे और श्री राम मंदिर का फैसला हो पाया लेकिन भूमि पूजन से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है और हागिया सोफिया मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा बाबरी मस्जिद थी हमेशा रहेगी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन पर पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।’

ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सैक्रेटरी मौलाना वली रहमानी ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि हमारा हमेशा यह मौकफ रहा है कि बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर या किसी हिंदू इबादतगाह को तोड़ कर नहीं बनाई गई।

Babari Mosque MPLB

मौलाना वली रहमानी ने कहा कि हालात चाहे जितने खराब हों हमें हौसला नहीं हारना चाहिए, मुखालिफ हालात में जीने का मिज़ाज बनाना चाहिए। मैं मुसलमानों से अपील करता हूं कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मस्जिद की ज़मान पर मंदिर की तामीर से हरगिज़ दिल बर्दाश्ता न हों, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि खाना-ए-काबा एक लंबे अर्से तक शिर्क और बिदअत परस्ती का मरकज़ रहा है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि ऐसे नाज़ुक मौके पर अपनी गल्तियों से तौबा करें, इखलाक और किरदार को सवारें, घर और समाज को दीनदार बनाए और पूरे हौसले के साथ मुखालिफ हालात में आगे बढ़ने का फैसला करें।

Babari Mosque

बता दें कि 1500 साल प्राचीन विरासत समेटे यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल हागिया सोफिया म्यूजियम को लेकर बड़ी तब्दीली हुई। पिछले महीने जुलाई में टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यब एर्दोगन ने इस ऐतिहासिक म्यूजियम को दोबारा मस्जिद में बदलने का आदेश दिया। राष्ट्रपति एर्दोगन ने 1934 के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत 1434 में इस्तांबुल पर कब्जे के बाद उस्मानी सल्तनत द्वारा मस्जिद में तब्दील हुई हागिया सोफिया को एक म्यूजियम बना दिया गया था। इस ऐतिहासिक इमारत ने कई बार अपनी रंगतों को भी बदलते देखा है। जब ये इमारत बनाई गई तब ये एक भव्य चर्च हुआ करती थी और शताब्दियों तक ये चर्च ही रही। फिर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।

गौरतलब है कि हागिया सोफिया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है। इसे छठी सदी में बाइजेंटाइन सम्राट जस्टिनियन के हुक्म से बनाया गया था। उस समय इस शहर को कुस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल के नाम से जाना जाता था। 537 ईस्वी में निर्माण पूर्ण होने के बाद इस इमारत को चर्च बनाया गया।