National Farmers Day: किसान आंदोलन के बीच देश आज मना रहा ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’, जानें इसका इतिहास

देश आज यानी बुधवार को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मना रहा है। हर साल 23 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के जन्मदिन पर ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाया जाता है।

Avatar Written by: December 23, 2020 10:00 am
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नई दिल्ली। देश में कृषि कानूनों (Farmer Laws) के विरोध में 28 दिनों से किसान आंदोलन (Farmer Protest) जारी है। एक तरफ सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में है, वही, किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इसी बीच देश आज यानी बुधवार को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मना रहा है। हर साल 23 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के जन्मदिन पर ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाया जाता है।

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इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसान दिवस पर देश के किसानों का अभिनंदन किया है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि किसान अपना आंदोलन जल्द ही वापिस लेगें। उन्होंने कहा, ”किसान दिवस पर मैं देश के सभी अन्नदाताओं का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा का कवच प्रदान किया है। कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान आंदोलनरत हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है। मैं आशा करता हूं कि वे जल्द अपने आंदोलन को वापिस लेगें।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी किसान दिवस पर देश के किसानों और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का अभिनंदन किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, किसानों के सशक्तिकरण के लिए आजीवन समर्पित रहने वाले, वंचितों के उत्थान हेतु सदैव प्रयत्नशील, सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति, महान जन नेता चौधरी चरण सिंह जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन एवं किसान दिवस पर सभी किसान बंधुओं का सादर अभिनन्दन।”

बता दें कि चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री थे। वो 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे थे। उनका कार्यकाल केवल साढ़े पांच महीने तक चला। उन्होंने ही देश में जमींदारी प्रथा खत्म की थी। वो के जाने-माने किसान नेता थे। उनका देश की राजनीति में अहम योगदान रहा। किसान आंदोलन की शुरुआत 2001 से हुई थी।

chaudhary charan singh

चौधरी चरण सिंह द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। इसके कारण ही उत्तर प्रदेश में एक जुलाई 1952 को जमींदारी प्रथा खत्‍म हुई थी और गरीबों को उनका अधिकार मिला था।