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NCPCR के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने स्ट्रीट चिल्ड्रन की दुर्दशा को लेकर केजरीवाल सरकार की ‘खोली पोल’, लगाया ये बड़ा आरोप

वहीं, प्रियंक कानूनगो से पूछा गया कि दिल्ली सरकार को उक्त नोटिस जारी करने के पीछे की वजह बताते हुए कहा, ‘ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल झूठ बोलते हैं। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों में अपने बयान में कहा था कि सड़क पर जो बच्चे हैं, उन्हें अमानव्य तरीके से उठा लिया जाता है।

नई दिल्ली। अगर आप दिल्ली सरकार हर गतिविधियों को लेकरे पैनी निगाहें बनाए रखते हैं, तब तो आपको ये पता ही होगा कि बीते दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिए नए स्कूल बनाए जाने की बात कही थी। इसके अलावा दिल्ली सरकार की तरफ से स्ट्रीट चिल्ड्रन की बेहतरी के लिए कई प्रमुख लेने की बात कही थी, लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि NCPCR ( National Commission For Protection of Child Rights) के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने केजरीवाल सरकार को नोटिस थमा दिया है। आइए, आगे की रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि आखिर उक्त नोटिस में क्या कुछ कहा गया है।

आपको बता दें कि प्रियंक कानूनगो ने दिल्ली सरकार को स्ट्रीट चाइल्ड को लेकर नोटिस थमा दिया है, जिसमें चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन को लेकर सवाल भी पूछे गए हैं। वहीं, प्रियंक कानूनगो से पूछा गया कि दिल्ली सरकार को उक्त नोटिस जारी करने के पीछे की वजह बताते हुए कहा, ‘ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल झूठ बोलते हैं। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों में अपने बयान में कहा था कि सड़क पर जो बच्चे हैं, उन्हें अमानव्य तरीके से उठा लिया जाता है। वहीं, चिल्ड्रिन होम में रह रहे बच्चों को भी भागने के लिए बाध्य होना पड़ता है। उन बच्चों की कोई परवाह नहीं करता है। प्रियंक कानूनगो ने आगे कहा कि आज से दो साल पहले राष्ट्रीय बाल आयोग के पास 73 हजार बच्चों की सूची थी, जो दिल्ली की सड़कों पर रह रहे हैं।

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हमने फिर इस सूची को दिल्ली को दिया। हमने दिल्ली सरकार के साथ लगातार इस पर फॉलोअप करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकारी लगातार बैठकों से नदारद रहे। हमने दिल्ली में जगहों  को चिन्हित कर केजरीलाल सरकार से कहा कि आइए  हम यहां से बच्चों को रेस्कू और रिहेबिलेट करना शुरू करते हैं। लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकारी उन बैठकों से गायब रहे हैं। हमने इन बच्चों के लिए स्टेडिंग ऑपरोटिव प्रोसेसिव बनाकर दिल्ली सरकार को दिया, लेकिन कभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। आखिरकार जब उस एसओपी का उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने सभी सरकारों को आदेश दिया कि हम सभी को रिहेबिलेट और रेस्क्यू के संदर्भ में आंकड़ा तैयार कर सरकार को सौंपने के लिए कहा गया।

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प्रियंक कानूनगो ने कहा कि नवंबर से लेकर अब तक इन्होंने 1800 बच्चों का आंकड़ा इन्होंने अपलोड किया है। दिल्ली सरकार ने बच्चों को रिहेबिलेट करने की दिशा में  भी  कोई काम नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों सरकारों को निर्देश दिया कि स्ट्रिट चिल्ड्रन के लिए एक नीति होनी चाहिए। सभी राज्यों सरकारों ने उस पॉलिसी पर काम किया, लेकिन दिल्सी सरकार ने इस पॉलिसी पर कोई काम नहीं किया। वहीं, इस संदर्भ में दिल्ली सरकार ने आयोग को भी कोई जवाब नहीं दिया। यहां तक आयोग ने जब सरकार से इस संदर्भ में सवाल किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कानूनगो ने कहा कि  हम आपसे कह रहे हैं कि 73 हजार बच्चों की लिस्ट हमारे पास है, लेकिन आप 10 हजार करोड़ रूपए में से कितने बच्चों को पढ़ा लीजिएगा। तो दिल्ली सरकार ने बच्चों के लिए कोई भी काम नहीं करती है, केवल भाषणबाजी करती है।