newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोटों का गणित इस तरह का है कि वो जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगी, यशवंत सिन्हा की दुर्गति तय

द्रौपदी मुर्मू बीजेपी की नेता रही हैं। वो झारखंड की गवर्नर भी रही हैं। अभी उनके समर्थन में बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीएसपी, टीडीपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना आए हैं। ये सभी गैर एनडीए दल हैं। बीजेपी समेत एनडीए के सभी घटक दलों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है। इस पद के लिए एनडीए ने आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारा है। वहीं, विपक्षी दलों ने बीजेपी के पूर्व नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया है। लोग अब तक कयास लगा रहे थे कि द्रौपदी और यशवंत के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है, लेकिन ताजा राजनीतिक हालात ने जीत के पलड़े को द्रौपदी के पक्ष में फिलहाल झुका दिया है। शिवसेना के समर्थन से विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है और अब माना ये जा रहा है कि करीब 11 लाख वोटों में से 60 फीसदी वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हो सकते हैं।

Daupadi Murmu..

द्रौपदी मुर्मू बीजेपी की नेता रही हैं। वो झारखंड की गवर्नर भी रही हैं। अभी उनके समर्थन में बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीएसपी, टीडीपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना आए हैं। ये सभी गैर एनडीए दल हैं। बीजेपी समेत एनडीए के सभी घटक दलों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है। वहीं, झारखंड में सरकार चला रही विपक्षी पार्टी जेएमएम का समर्थन भी द्रौपदी को हासिल होने के पूरे आसार हैं। यूपी में राजा भैया, अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह भी मुर्मू के समर्थन और उन्हें वोट देने का एलान कर चुके हैं। यानी बीजेपी ने एनडीए प्रत्याशी के लिए वोटों में सेंधमारी कर ली है।

yashwant sinha

वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की बात करें, तो टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने उन्हें मैदान में उतारा, लेकिन उनका प्रचार न तो वो कर रही हैं, न ही यशवंत अब तक बंगाल के दौरे पर ही गए हैं। वजह पश्चिम बंगाल में आदिवासी वोटर हैं। इन वोटरों की तादाद करीब 10 फीसदी है। यशवंत को कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, डीएमके और कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन है, लेकिन विपक्षी शिवसेना और जेएमएम के रुख ने विपक्ष की जीत पर फिलहाल सवाल खड़ा कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायकों पर पार्टी का व्हिप लागू नहीं होता। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में और वोट भी गिरने की संभावना जताई जा रही है।