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दूसरे प्रदेशों में फंसे बिहारी मजदूरों के मामले में नीतीश सरकार के इस फैसले से बिहार में गर्मा गई राजनीति

कुल नौ राज्यों के 12 शहरों में बिहार सरकार 55 राहत केंद्र चला रही है। 25 लाख प्रवासी बिहारियों ने मदद के लिए आवेदन दिया है। 12.35 लाख लोगों को खाना खिलाया जा रहा है, 16 लाख प्रवासी मजदूरों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष से 250 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिये जारी किया गया है।

नई दिल्ली। दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए बिहारी मजदूरों के मामले में बिहार की नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। नीतीश सरकार ने बिहार के बाहर अन्य राज्यों में फंसे लाखों प्रवासी बिहारियों को वापस लाने के मसले को केंद्र सरकार के फैसले पर छोड़ दिया है। बिहार सरकार द्वारा जारी सूचना के अनुसार, जब तक प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का फैसला नहीं होता है तब तक ये जहां हैं वहीं इनकी पुख्ता व्यवस्था की गई है।

nitish kumar, cm

कुल नौ राज्यों के 12 शहरों में बिहार सरकार 55 राहत केंद्र चला रही है। 25 लाख प्रवासी बिहारियों ने मदद के लिए आवेदन दिया है। 12.35 लाख लोगों को खाना खिलाया जा रहा है, 16 लाख प्रवासी मजदूरों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष से 250 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिये जारी किया गया है।

Lockdown

उधर प्रवासी मजदूरों की वापसी बिहार में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। बिहार सरकार का कहना है कि 3 मई के बाद या पहले जब इनकी वापसी की इजाजत मिलती है, उसके पहले होस्ट राज्यों की ये जिम्मेदारी है कि वे यात्रा से पहले सबकी मेडिकल जांच कराने के बाद ही भेजें। बिहार पहुंचने पर भी इनकी गहन जांच कराई जाएगी, क्योंकि बिहार अबतक 16 मरीज ऐसे मिले हैं जो प्रवासी मजदूर हैं और हाल ही में दूसरे राज्यों से लौटे हैं।

Lockdown in India

उधर प्रवासी मजदूरों या कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए बिहार सरकार पर लगातार दबाव बना हुआ है। विपक्ष इस मसले को लेकर हमलावर है। उपेन्द्र कुशवाहा ने इसी मुद्दे पर अपने आवास पर भिक्षाटन कार्यक्रम आयोजित किया और दो घंटे का उपवास भी रखा। पटना विश्वविद्यालय में लॉकडाउन के दौरान भी छात्र संघ अध्यक्ष ने अन्य छात्र नेताओं के साथ प्रदर्शन किया जिन्हें गिरफ्तार किया गया।