Bihar: अपने किए पर पछता रहे हैं नीतीश? पाला बदलते ही सुशासन बाबू की शुरू हो गई दुर्गति, राजद ने भी..!

वैसे भी बिहार मंत्रिमंडल के स्वरूप को देखने के बाद नीतीश कुमार को दाद देने का मन करता है। क्या सोचकर मंत्रिमंडल बंटवारा किया है। जिस पर अपहरण का आरोप है, उसे कानून मंत्री बना डाला। जिस पर चवाल घोटाले का आरोप है, उसे कृषि मंत्री बना डाला और तो और जिस पर कारतूस बरामद के आरोप लगे हैं, उसे शिक्षा का पुजारी समझकर शिक्षा मंत्री का पदभार दे दिया।

सचिन कुमार Written by: August 20, 2022 8:04 pm

नई दिल्ली। बिहार में नीतीश बाबू दोबारा से मुख्यमंत्री क्या बन गए हैं कि बीजेपी वाले तो उनके पीछे हाथ धोकर ही पड़ गए हैं। जब देखिए तब नीतीश-नीतीश की रट लगाए रहते हैं। बेचारे सुशासन बाबू भी खिसयाकर कहते होंगे कि इन बीजेपी वालों को कोई काम-धंधा नहीं है क्या कि जब देखो तब नीतीश-नीतीश की रट लगाए रहते हैं। नीतीश बाबू भी मन ही मन कहते होंगे कि कोनों जुर्म तो नहीं किए हैं हम। बस कसूर इनता-सा है कि बीजेपी वालों को गच्चा देकर राजद के पाले में आकर फिर से सीएम बन गए हैं। खैर, जाने भी दीजिए। ये तो नीतीश बाबू की पुरानी आदत है। वो गाना तो आप ऋतिक रोशन का सुने ही ना आप कि इधर चला में उधर चला। जाने कहां में किधर चला। अरे मैं तो फिसल गया। ये तूने क्या किया।

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बस…पिछले कुछ दिनों से इन्हीं गानों को चरितार्थ में करने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मसरूफ हैं…मतलब आप इतना जान लीजिए कि उनकी भी हालत फिसलने जैसी ही हो रही है। जनाब कभी-भी फिसल सकते हैं और इसका पूरा श्रेय अगर किसी को जाता है, तो वो कोई और नहीं, बल्कि माननीय मुख्यमंत्री स्वयं हैं। जी हां… बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप..दरअसल, बिहार में राजद संग सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल का गठन किया है। मंत्रिमंडल के गठन के दौरान जिस तरह से उन्होंने मंत्रालय का आवंटन किया है। अरे वाह पूछिए ही मत। आवंटन भी ऐसा कि जिसे जानकर आपका मन करेगा कि मुख्यमंत्री जी को साष्टांग प्रणाम किया जाए।

वैसे भी बिहार मंत्रिमंडल के स्वरूप को देखने के बाद नीतीश कुमार को दाद देने का मन करता है। क्या सोचकर मंत्रिमंडल बंटवारा किया है। जिस पर अपहरण का आरोप है, उसे कानून मंत्री बना डाला। जिस पर चवाल घोटाले का आरोप है, उसे कृषि मंत्री बना डाला और तो और जिस पर कारतूस बरामद के आरोप लगे हैं, उसे शिक्षा का पुजारी समझकर शिक्षा मंत्री का पदभार दे दिया। अब आप ही बताइए कि बिहार की जनता को ऐसी सरकार से क्या उम्मीद रखनी चाहिए। अब आप ही बताइए कि जो मंत्री हत्या के आरोपों की पोटली लेकर घूम रहा है। क्या जनता को उससे बिहार के कानून व्यवस्था के सुदृढ़ होने की उम्मीद कर सकती है। क्या जिस पर मंत्री चावल घोटाले का आरोप लगा है। उससे कृषि के क्षेत्र में उन्नत कृत्य किए जाने की अपेक्षा की जा सकती है। इस फैसला तो बिहार की जनता को ही आगामी विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव में करना होगा, क्योंकि बीते दिनों में बिहार जिस तरह का खेला नीतीश कुमार ने जो कुछ भी किया था और वो कुछ नहीं, बस लोकतंत्र का भद्दा मजाक था।

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बहरहाल, आइए थोड़ा बिहार के कृषि मंत्री सुधारकर सिंह पर प्रकाश डालते हैं। जनाब के पर चावल घोटाले के आरोप लगे हैं। इतना ही नहीं, बरखुरदार के खिलाफ 2013 में ही प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी थी, लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर क्यों उनके खिलाफ इतने वर्षों तक एफआईआर दर्ज की गई है और नीतीश कुमार की ऐसी नेताओं के प्रति दरियादिली देखिए कि जिनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए थी, उन्हें नीतीश बाबू मंत्री पद का तोहफा दे रहे हैं। आपको बता दें कि कैमूर के एसएफसी के जिला प्रबंधक दिनेश प्रसाद सिंह ने 27 नवंबर 2013 को सुधाकर राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के खिलाफ 3653 क्विंटल चावल जिसका मूल्य 6952134 रू का गबन करने के आरोप में रामगढ़ थाने में केस दर्ज कराया था. जिला प्रबंधक के आवेदन में कहा गया था कि सुधाकर राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के आवेदन पर राज्य खाद्य निगम कैमूर में इकरारनामा किया गया था. इस इकरारनामा के अनुसार सुधाकर सिंह द्वारा कुल 11900 क्विंटल धान का उठाव किया गया. जिसके बाद 6973 क्विंटल चावल भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में जमा कराना था. लेकिन उन्होंने मात्र 4320 क्विंटल सीएमआर (चावल) एफसीआई के गोदाम में जमा किया। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम