
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों और यौन शोषण की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार केंद्र सरकार और बीजेपी के निशाने पर हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस खुद प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के रवैये पर सवालिया निशान लगा चुके हैं। अब गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा जिसमें उन्होंने कहा, ममता दीदी, हमें बयानबाजी की नहीं, कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने गुजरात में यौन उत्पीड़न से जुड़े कुछ मामलों का जिक्र करते हुए उन पर त्वरित कार्रवाई की ओर ममता बनर्जी का ध्यान आकृष्ट कराया।
Mamta Didi, we need actions, not just words.
The POCSO Act and other laws for women’s safety are robust, but their impact depends on swift and fair action by local police. From investigation to conviction, timely justice is crucial.
Consider these cases:
Surat’s Pandesara…
— Bhupendra Patel (@Bhupendrapbjp) September 6, 2024
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, हमें सिर्फ बातें नहीं करनी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पॉक्सो अधिनियम और अन्य मजबूत कानून हैं, लेकिन उनका प्रभाव स्थानीय पुलिस की त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई पर निर्भर करता है। जांच से लेकर सजा तक, समय पर न्याय महत्वपूर्ण है।
इन मामलों की तरफ दिलाया ध्यान-
– सूरत का पांडेसरा POCSO मामला : 10 दिन में चार्जशीट दाखिल हुई, 22 दिन में रेपिस्ट को मौत की सजा सुना दी गई।
– पूना थाना मामला : मात्र 32 दिन में दुष्कर्मी को मौत की सजा सुना दी गई।
– न केवल दुष्कर्म के मामलों में, बल्कि 22 वर्षीय बेटी की हत्या में भी, गुजरात पुलिस ने 9 दिनों में आरोप पत्र दायर किया और 75 दिनों के भीतर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाते हुए हत्यारे को मौत की सजा सुनाई गई।
– भावनगर पॉक्सो मामला : 24 घंटे में आरोपपत्र और 52 दिन में मिला न्याय।
– पीछा करने और उत्पीड़न के मामले के दोषियों को 5 साल की सज़ा।
गुजरात सीएम ने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा कि महिला सुरक्षा एक मौलिक मानवाधिकार है, कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं। हमें तत्परता, पारदर्शिता और सामूहिक जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए। आइए सुनिश्चित करें कि हमारी माताएं, बेटियां और बहनें बिना किसी डर के रहें। अब कोई देरी नहीं, कोई बहाना नहीं, केवल त्वरित कार्रवाई और जवाबदेही।