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Election: राज्यसभा चुनाव को लेकर टेंशन में कांग्रेस, कई राज्यों में महाभारत से क्रॉसवोटिंग की आशंका, हो सकता है बाद नुकसान

राजस्थान के उदयपुर में तीन दिनों तक चर्चा के बाद कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार ने नए संकल्पों का एलान बीते दिनों किया था। अब इन संकल्पों के बावजूद पार्टी को राज्यसभा चुनाव की राह में कांटों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं पार्टी के भीतर दिक्कत है, तो कहीं सहयोगी दल मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे।

नई दिल्ली। राजस्थान के उदयपुर में तीन दिनों तक चर्चा के बाद कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार ने नए संकल्पों का एलान बीते दिनों किया था। अब इन संकल्पों के बावजूद पार्टी को राज्यसभा चुनाव की राह में कांटों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं पार्टी के भीतर दिक्कत है, तो कहीं सहयोगी दल मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे। वहीं, बीजेपी ने भी मुश्किल पैदा कर रखी है। पहले बात राजस्थान की कर लेते हैं। सूत्रों के मुताबिक यहां से कांग्रेस गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा भेजना चाहती है, लेकिन पार्टी में कई नेता इसके खिलाफ हैं। उनका कहना है कि बाहरी नहीं, राजस्थान के ही किसी नेता को भेजा जाए। वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां कह रहे हैं कि 4 में से दो सीट पर कांग्रेस और 1 सीट बीजेपी की पक्की है, लेकिन वो चौथी सीट कांग्रेस के लिए आसान नहीं रखेंगे। सूत्रों का कहना है कि अंदरूनी टकराव की वजह से सीएम अशोक गहलोत को चौथी सीट कांग्रेस के खाते में भेजने की कोशिश महंगी पड़ सकती है।

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अब बात झारखंड की कर लेते हैं। यहां कांग्रेस के सहयोग से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा JMM ने अब तक साफ नहीं किया है कि वो कांग्रेस को सीट देगी। इस बारे में फैसला लेने के लिए जेएमएम के नेता और सीएम हेमंत सोरेन ने आज बैठक बुलाई है। हालांकि, यहां भी अंदरूनी तौर पर कांग्रेस को सीट दिए जाने का विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने झारखंड से अजय माकन को राज्यसभा भेजने के बारे में सोचा है। अजय कुमार और फुरकान अंसारी भी दावेदार हैं।

अब दक्षिण भारत की ओर चलते हैं। यहां तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके नेता और सीएम एमके स्टालिन कांग्रेस को 1 सीट देने के लिए राजी बताए जाते हैं। यहां से कांग्रेस पूर्व मंत्री पी. चिदंबरम को राज्यसभा का सदस्य बनवाना चाहती है, लेकिन केएस अलागिरी और पूर्व सांसद विश्वनाथन भी दावेदारी ठोक रहे हैं। अलागिरी, स्टालिन के सौतेले भाई हैं और यूपीए सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में चिदंबरम की राह आसान नहीं दिखती। इसके अलावा उनके और बेटे कार्ति के खिलाफ जारी ईडी और इनकम टैक्स की जांच की वजह से भी हालात इतने अनुकूल नहीं हैं।