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UP: शारदा यूनिवर्सिटी के परीक्षा प्रश्नपत्र में हिंदुत्व के बारे में पूछा गया आपत्तिजनक सवाल, हुआ बवाल तो फैकल्टी सस्पेंड

दरअसल, शारदा यूनिवर्सिटी में बीए फर्स्ट ईयर के छात्रों के राजनीतिक विज्ञान के पश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में आपत्तिजनक सवाल पूछ गया। जिसे लेकर अब बहस छिड़ी हुई है। किसी मुस्लिम शिक्षक ने उपरोक्त प्रश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में आपत्तिजनक प्रश्न दर्ज किए हैं। बता दें कि सोशल मीडिया पर उक्त प्रश्न अभी खासा तेजी से वायरल हो रहा है।

नई दिल्ली। चलिए, बहुत दिन हो गए। किसी यूनिवर्सिटी में नहीं गए हैं। तो आज हम अपने पाठकों को लिए चलते हैं शारदा यूनिवर्सिटी, जहां अभी छात्रों के एग्जाम चल रहे हैं। छात्र परीक्षा में सफल होने हेतु जीजान से मेहनत कर रहे हैं। वैसे तो कोरोना की वजह से छात्रों की पढ़ाई का जो सत्यानाश हुआ है, उसके बारे में तो आपको पता ही होगा, लेकिन अब जैसे-तैसे ऑनलाइन का सहारा लेकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी गई और अब एग्जाम भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन ये क्या, यहां एग्जाम के बीच बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है। लोग भड़क गए हैं। चलिए, अब आपको बताते हैं कि आखिर एग्जाम के बीच ऐसा क्या हो गया था कि लोगों का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुंच गया। यहां जानिए तफसील से पूरा माजरा।

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आखिर माजरा क्या है?

दरअसल, शारदा यूनिवर्सिटी में बीए फर्स्ट ईयर के छात्रों के राजनीतिक विज्ञान के पश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में आपत्तिजनक सवाल पूछा गया। जिसे लेकर अब बहस छिड़ी हुई है। किसी मुस्लिम शिक्षक ने उपरोक्त प्रश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में आपत्तिजनक प्रश्न दर्ज किए। बता दें कि सोशल मीडिया पर उक्त प्रश्न अभी खासा तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं, मामला प्रकाश में आने के बाद  मुस्लिम शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन मात्र इतनी कार्रवाई से लोगों का रोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर क्यों बार-बार हिंदुओं और उनकी आस्था का मखौला उड़ाया जाता रहेगा और हम चुप रहेंगे।  हर बार इस तरह के मामले प्रकाश में आते रहते हैं और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता ही निभाईं जातीं हैं। जिसके कुछ दिनों बाद से फिर ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं, जो कि इस बात की बानगी है कि हिंदुओं को बदनाम करने वाले गिरोह को इन कार्रवाई से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। खैर, अब इस पूरे मसले को संज्ञान में लेने के उपरांत क्या कुछ कार्रवाई की जाएगी। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन आइए उससे पहले यह जान लेते हैं कि आखिर उपरोक्त प्रश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में क्या कुछ सवाल किए गए थे, जिसे लेकर सियासी गलियारों में विवाद का सिलसिला शुरू हो चुका है।

तो ये सवाल पूछा गया था?

दरअसल, बीए प्रथम वर्ष के राजनीतिक विज्ञान के प्रश्न पत्र में हिंदुओं के संदर्भ में सवाल किया गया था कि हिंदुओं की तुलना फासीवाद और नाजीवादी से करते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए छात्रों से कहा गया था, जिसे लेकर अब बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। वहीं, अब इस पूरे मसले पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई है। बता दें कि बीजेपी नेता विकास प्रितम सिंह ने इस पूरे मसले पर यूनिर्सिटी को निशाने पर लेते हुए कहा कि, ‘यूनिवर्सिटी का नाम ‘शारदा’ पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासी और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह प्रश्नपत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है। बहरहाल, यूनिवर्सिटी प्रशासन उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेने के उपरांत तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर उक्त प्रश्न पत्र बनाने वाले फैकल्टी को निलंबित कर दिया है। हालांकि, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब किसी विश्वविद्यालय ने इस तरह हिंदुओं के संदर्भ में आपत्तिजनक सवाल पूछे हो, बल्कि इससे पहले भी इस तरह के मामले कई बार प्रकाश में आ चुके हैं और ध्यान देने वाली बात यह है कि इन मामले को संज्ञान में लेने के बाद कार्रवाई की जाती है, लेकिन इन कार्रवाईओं की कोई तासीर नजर नहीं आती है। खैर, अब ऐसी स्थितिम में यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।