लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के गठबंधन से अलग होकर बीएसपी से हाथ मिलाने के सपने देख रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को बड़ा झटका लगा है। बीएसपी के राष्ट्रीय संयोजक और पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने साफ कह दिया है कि सुभासपा से कोई गठबंधन नहीं होगा। आकाश ने राजभर को ‘स्वार्थी’ तक बताया है। इससे पहले रविवार को राजभर ने मीडिया से कहा था कि उनका मानना है कि बीएसपी से हाथ मिलाने की अब जरूरत है। सुभासपा ने यूपी का विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गए।
ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के 6 विधायक यूपी विधानसभा में हैं। पूर्वांचल की कई सीटों पर सुभासपा का दबदबा है। इसी के दम पर शायद राजभर अब बीएसपी के साथ जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आकाश ने बाकायदा ट्वीट कर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आकाश ने लिखा कि बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी की पूर्व सीएम मायावती के शासन, प्रशासन और अनुशासन की दुनिया तारीफ करती है। फिर कुछ अवसरवादी लोग भी बहनजी के नाम के सहारे अपनी सियासी दुकान चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। जाहिर तौर पर मायावती की मर्जी के बगैर आकाश ने ये ट्वीट नहीं किया होगा। यानी साफ है कि मायावती ने खुद राजभर को ठेंगा दिखा दिया है।
बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय @Mayawati जी के शासन,प्रशासन, अनुशासन की पूरी दुनिया तारीफ करती है।
लेकिन कुछ अवसरवादी लोग भी बहन जी के नाम के सहारे अपनी राजनीतिक दुकान चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) July 25, 2022
इससे पहले सपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर चिट्ठी जारी कर राजभर की पार्टी से गठबंधन तोड़ने का एलान किया था। सपा ने लिखा था कि जहां राजभर को सम्मान मिले, वहां जाने के लिए वो आजाद हैं। इससे पहले ही राजभर लगातार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साध रहे थे। उन्होंने लगातार कहा था कि अखिलेश तो एसी कमरे में ही बैठे रहते हैं। रविवार को राजभर ने ये तक कह दिया था कि अखिलेश जब अपने चाचा (शिवपाल सिंह यादव) और भाभी (अपर्णा यादव) को संभाल नहीं सके, तो भला उन्हें क्या संभालेंगे। माना जा रहा है कि ऐसी बातें कहकर वो मायावती के करीब आना चाह रहे थे, लेकिन वहां से भी उनको झटका लगा है। अब देखना ये है कि क्या ओमप्रकाश राजभर एक बार फिर बीजेपी का दामन थामते हैं या अपने दम पर सियासत करते हैं।