नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी के बाहर हो रहे किसान आंदेालन को लेकर विपक्ष की काफी किरकिरी हो रही है। बता दें कि विपक्षी दलों ने किसानों से सड़कों पर उतरकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील तो की लेकिन उनकी अपील पर कुछ खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में वरिष्ठ नेता से लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तक बिहार के किसानों से अपील कर चुके हैं कि वे किसान आंदोलन का समर्थन करें और सड़कों पर उतरें। फिलहाल इस अपील का कोई फायदा विपक्ष को दिख नहीं रहा है। नतीजा ये रहा है कि अब तक बिहार के किसान इस आंदोलन को लेकर सडकों पर नहीं उतरे हैं। हालांकि विपक्षी दल इस आंदोलन के जरिए बिहार में भले ही गाहे-बगाहे सडकों पर दिखाई दिए, लेकिन विपक्ष की इस मुहिम से किसानों ने अपनी दूरी बनाई हुई है। सरकार पर दबाव ना बना पाने के चलते अब उलटा विपक्ष में ही टकराव देखने को मिल रहा है।
गौरतलब है कि बीते दिनों कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने इशारों ही इशारों में राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि किसानों के नाम पर बिहार में दिखावटी आंदोलन हो रहा है। इसमें हमें हकीकत में नजर आनी चाहिए, तकनीक के जरिए उपस्थिति नहीं चलने वाली है। यदि महागठबंधन के नेता सही में आंदोलन को तेज करना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए कोई ठोस रणनीति बनानी होगी और खुद भी शामिल होना होगा।
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी बिहार की राजधानी पटना जाकर यहां के किसानों से आंदोलन में साथ आने की अपील कर चुके हैं लेकिन इसके बाद भी यहां के किसान अब तक सड़कों पर नहीं उतरे। बता दें कि बिहार में एपीएमसी एक्ट साल 2006 में ही समाप्त कर दिया गया है।