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Kerala PFI Rally: फिर विवाद में PFI, बच्चों से लगवा रहा है मोदी सरकार के खिलाफ नारे, मासूमों से कहलवा रहा है कि पाकिस्तान….!!

Kerala PFI Rally: इस बीच यह बच्चा मोदी सरकार के खिलाफ अपनी जहर की नुमाइश करते हुए कह रहा है कि “ना हम पाकिस्तान जाएंगे और न ही बांग्लादेश जाएंगे, इसी देश की 6 फीट जमीन में ही दफन होंगे,लेकिन संघियों तुम ये याद रखना हम मिटने से पहले तुम्हें मिटाकर जाएंगे’।

नई दिल्ली। चलिए, मान लिया कि आपकी और हमारी विचारधाराओं में तनिक नहीं, बल्कि जमीन-आसमान के जितना फर्क है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता न कि हमारी अलग विचारधाराएं देश में वैमनस्यता फैलाने का कारण बनें। कहने में कोई गुरेज नहीं कि अगर किसी की कोई विचारधारा देश के विभाजन का कारण बन रही है, तो वो विचाराधारा नहीं, बल्कि जहर है। जी हां…बिल्कुल सही पढ़ा आपने… अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि आप आज विचारधाराओं के संदर्भ में भूमिकाओं का सैलाब बहा रहे हैं। आखिर माजरा क्या है। जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो चलिए अब हम आपको पूरा मसला तफसील से बताते हैं।

जानें पूरा माजरा

दरअसल, केरल के आलप्पूझा में मोदी सरकार और आरएसएस के खिलाफ पीएफआई के तत्वावधान में ‘सेव रिपब्लिक’ नाम से रैली का आयोजन किया गया। जिसमें भारी संख्या में पीएफआई संगठन समेत अन्य लोगों ने हिस्सा लिया था। रैली में शामिल लोगों ने जहां केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी तो की ही, लेकिन अपनी जुबां से कुछ ऐसे अल्फाज भी निकाल डाले, जो कि इनके दिल में भरे भड़ास की बखूबी नुमाइश करते हुए नजर आ रहे थे। इन अल्फाजों ने यह साफ कर दिया है कि यह देश को विभाजित करने की मंशा पाल रहे हैं और उसे पल्लवित करने की दिशा में भरसक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इन्हें एक बात यह भी जान लेंनी चाहिए कि ये कितनी भी कोशिशें क्यों न कर लें, लेकिन इनके नापाक इरादे कभी कामयाब नहीं होने वाले हैं। चलिए, अब हम आपको बताते हैं कि रैली में शामिल हुए लोगों ने कैसे केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली।

PFI organizes 'Save the Republic' march, Bajrang Dal holds counter-rally

आपको बता दें कि उपरोक्त रैली के संदर्भ में एक वीडियो प्रकाश में आया है, जिसमें एक बच्चा अपने पिता के कांधे पर बैठकर मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगल रहा है। नफरत भरी बातों की नुमाइश कर रहा है। अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिर वो कौन लोग हैं, जो इस मासूम बच्चे के जेहन में ऐसी नफरत भरी बातों का सैलाब बहा रहे हैं। आखिर ये लोग चाहते क्या हैं। दरअसल, वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे अपने पिता के कांधे पर बैठकर बच्चा मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहा है। कह रहा है कि ‘हम बाबरी और ज्ञानव्यापी दोनों में एक दिन सजदा जरूर करेंगे, इंशाअल्लाह, संघियों तुम इस बात को समझ लो। ध्यान रहे कि अभी ज्ञानवापी मस्जिद का मसला कोर्ट में विचाराधीन है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद इसे जिला अदालत में भेज दिया गया था। वहीं, आज जिला अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब देखना होगा कि कल कोर्ट इस पर क्या कुछ फैसला सुनाती है।

इस बीच यह बच्चा मोदी सरकार के खिलाफ अपनी जहर की नुमाइश करते हुए कह रहा है कि “ना हम पाकिस्तान जाएंगे और न ही बांग्लादेश जाएंगे, इसी देश की 6 फीट जमीन में ही दफन होंगे,लेकिन संघियों तुम ये याद रखना हम मिटने से पहले तुम्हें मिटाकर जाएंगे’। वहीं दूसरे वीडियो में कहा जा रहा है कि ‘अपने घर पर चावल, फूल और अंतिम संस्कार के सारे समान का इंतजाम करके रखो, कुछ भी मत भूलना, कुछ भी मत भूलना, तुम्हारा काल बनकर हम तुम्हारे पास आ रहे हैं’।”ना हम पाकिस्तान जाएंगे और न ही बांग्लादेश जाएंगे, इसी देश की 6 फीट जमीन में ही दफन होंगे,लेकिन संघियों तुम ये याद रखना हम मिटने से पहले तुम्हें मिटाकर जाएंगे’। वहीं दूसरे वीडियो में कहा जा रहा है कि ‘अपने घर पर चावल, फूल और अंतिम संस्कार के सारे समान का इंतजाम करके रखो, कुछ भी मत भूलना, कुछ भी मत भूलना, तुम्हारा काल बनकर हम तुम्हारे पास आ रहे हैं’। तो इस तरह आप देख सकते हैं कि कैसे कलम पकड़ने की उम्र में यह मासूम सा बच्चा हुकूमत के खिलाफ जहर उगल रहा है।

जानिए क्या है पीएफआई?, क्या हैं इनके दावे? क्यों उठ रही है इसको बैन करने की मांग - Know what is PFI what are their claims Why is there a demand to

हैरत की बात तो यह है कि रैली में मौजूद सुरक्षाकर्मी भी मौनधारक होकर पूरे नजारे को देखने में मशगूल रहते हैं। पुलिसकर्मियों के हावभाव से यह साफ जाहिर होता है कि उन्हें इन जहरिया अल्फाजों से कतई फर्क नहीं पड़ता है। जिसे लेकर अब शायद राज्य सरकार से भी सवाल पूछा जाना चाहिए। खैर, मसला यहां जहरों का होता है, तो दवा तो मिल ही जाती, लेकिन यहां तो द्वंद वैचारिक मतभेद का है और चलो हमने तो मान भी लिया कि एक लोकतांत्रिक देश में हमारे विचार मुख्तलिफ हो सकते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं है कि वैचारिक मतभेद देश में वैमनस्यता व विभाजन की वजह बनें। खैर, इस पूरे मसले के संज्ञान में आने के बाद यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि पुलिस इस पूरे मामले में आगे क्या कुछ कार्रवाई करना जरूरी समझेगी या गैर-जरूरी। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए ।न्यूज रूम पोस्ट.कॉम