नई दिल्ली। रविवार को राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश के साथ हुए दुर्व्यवहार का मामला अब बढ़ता जा रहा है। जहां बदसलूकी के चलते सभापति वेकैंया नायडू ने आठ सांसदों को निलंबित कर दिया था तो वहीं इसके जवाब में वे सभी आठों सांसद ने धरना देने का रास्ता चुना। रात भर आठों सांसद गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे रहे। वहीं दूसरी तरफ उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर उस घटना से खुद के आहत होने की बात कही। इस चिट्ठी को ट्विटर पर शेयर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।’
माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें। pic.twitter.com/K9uLy53xIB
— Narendra Modi (@narendramodi) September 22, 2020
आपको बता दें कि राष्ट्रपति के नाम हरिवंश द्वारा लिखी चिट्ठी में लिखा गया है कि, ‘राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया।’ हरिवंश ने कहा, ‘सदन के सदस्यों की ओर से लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं। सदन में सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ी। मेरे ऊपर फेंका।’
उन्होंने लिखा ‘नीचे से कागज को रोल बनाकर आसन पर फेंके गए। आक्रामक व्यवहार, भद्दे और असंसदीय नारे लगाए गए। हृदय और मानस को बेचैन करने वाला लोकतंत्र के चीरहरण का पूरा नजारा रात मेरे मस्तिष्क में छाया रहा। इस कारण मैं सो नहीं सका। गांव का आदमी हूं, मुझे साहित्य, संवेदना और मूल्यों ने गढ़ा है।
उन्होंने पत्र में आगे कहा, “जेपी के गांव में पैदा हुआ, सिर्फ पैदा नहीं हुआ, उनके परिवार और हम गांव वालों के बीच पीढ़ियों का रिश्ता रहा, गांधी का बचपन से गहरा असर पड़ा। गांधी, जेपी, लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जैसे लोगों के सार्वजनिक जीवन ने मुझे हमेशा प्रेरित किया, जय प्रकाश आंदोलन और इन महान विभूतियों की परंपरा में जीवन में सार्वजनिक आचरण अपनाया। मेरे सामने 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृश्य हुआ, उससे सदन, आसन की मर्यादा को अकल्पनीय क्षति पहुंची है।”
वहीं खुद के उपवास रखने की जानकारी देते हुए उपसभापति ने सभापति एम वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में कहा कि, कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान रविवार को सदन में हुए हंगामे का जिक्र किया और कहा, ‘मेरा यह उपवास इसी भावना से प्रेरित है। बिहार की धरती पर पैदा हुए राष्ट्रकवि दिनकर दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। कल 23 सितंबर को उनकी जन्मतिथि है। आज यानी 22 सितंबर की सुबह से कल 23 सितंबर की सुबह तक मैं 24 घंटे का उपवास कर रहा हूं।
हालांकि खुद के काम करने को लेकर उन्होंने लिखा है कि, कामकाज प्रभावित ना हो, इसलिए मैं उपवास के दौरान भी राज्यसभा के कामकाज में नियमित और सामान्य रूप से भाग लूंगा।