J-K: तिरंगे के रंग में सराबोर श्रीनगर के लाल चौक से राजनीति के LIMELIGHT में आए थे PM मोदी, जानिए पूरी कहानी
Jammu-Kashmir: लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान नहीं था। सरकार की तरफ से रोक थी। उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाया गया। आतंकियों ने मार देने की धमकी दी, लेकिन नरेंद्र मोदी और जोशी इन धमकियों और चेतावनी से डिगे नहीं। उन्होंने ठान लिया था। मोदी ने जोशी से कह दिया था कि लाल चौक पर देश का झंडा फहराकर ही वह लौटेंगे और जो कहा था, उसे सच किया।
श्रीनगर। आज कश्मीर घाटी में श्रीनगर का लाल चौक तिरंगे की रोशनी से सराबोर है। कश्मीरियों के दिल में भारत के राष्ट्रीय ध्वज ने अहम जगह बनाई है, लेकिन यही लाल चौक था जहां कभी तिरंगा फहराने की मनाही थी। यही लाल चौक है, जहां से राजनीति में नरेंद्र मोदी का नाम चमका था। वह साल था 1992। इससे दो साल पहले 1990 में अचानक एक रात पाकिस्तान की शह पर यहां आतंकवाद ने सिर उठाया था। कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई थी। उनकी बहन-बेटियों से रेप हुआ था। देखते ही देखते श्रीनगर आतंकियों का गढ़ बन गया। दिन-रात दहशत में यहां के लोग रहने लगे। दहशत के इस माहौल के बीच बीजेपी ने 1991 में कन्याकुमारी से एकता यात्रा की शुरुआत की थी। इस यात्रा की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी के कंधे पर थी। उन्होंने ऐसा सफल मैनेजमेंट किया, जिसकी बदौलत एकता यात्रा कई राज्यों से होती हुई श्रीनगर जा पहुंची। फिर तारीख आई 26 जनवरी की। उस रोज बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी लाल चौक पहुंचे और वहां तिरंगा फहराया।
लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान नहीं था। सरकार की तरफ से रोक थी। उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाया गया। आतंकियों ने मार देने की धमकी दी, लेकिन नरेंद्र मोदी और जोशी इन धमकियों और चेतावनी से डिगे नहीं। उन्होंने ठान लिया था। मोदी ने जोशी से कह दिया था कि लाल चौक पर देश का झंडा फहराकर ही वह लौटेंगे और जो कहा था, उसे सच किया।
#WATCH | Jammu and Kashmir: Clock Tower (‘Ghanta Ghar’) at Lal Chowk in Srinagar illuminated in the colours of the Tricolour last night, ahead of Independence Day. pic.twitter.com/6d2pbbX2i3
— ANI (@ANI) August 7, 2021
यहीं से बीजेपी में नरेंद्र मोदी की पहचान बनी। वह पार्टी में लगातार अहम पदों पर रहे। गुजरात में बीजेपी ने उन्हें सीएम बनाया। हिंदुत्व और राष्ट्र रक्षक की पहचान उन्हें मिली और तमाम अनाप-शनाप आरोपों का सामना करते हुए 2014 और 2019 में मोदी ने केंद्र में सरकार बनाई। जिस श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने के बाद मोदी का करियर ग्राफ ऊंचाई छूने लगा, उसी लाल चौक पर पहुंचने की जिद ने 23 जून 1953 में तत्कालीन जनसंघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जान ली थी।
उन्होंने उस वक्त जम्मू-कश्मीर में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान के विरोध में यात्रा निकाली थी और जम्मू में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। मुखर्जी की उस शहादत को 5 अगस्त 2019 में सच्ची श्रद्धांजलि मिली, जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को संसद से रद्द करवा दिया।