लाल किले की घटना पर PM मोदी ने जो कहा उसे प्रदर्शनकारी किसानों को जरूर जानना चाहिए

PM Modi: बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर(Gazipur Border) पर आंदोलन कर रहे किसानों की भारी तादाद देखते हुए एहतियात के तौर पर प्रशासन ने शनिवार रात को 12 लेयर की बैरिकेडिंग लगा दी है।

Avatar Written by: January 31, 2021 11:59 am
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नई दिल्ली। दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा लाल किले पर तिरंगे के अपमान को लेकर चारों तरफ आलोचना हो रही है। वही रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी इस घटना का जिक्र किया। बता दें कि 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के नाम पर भारी संख्या प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली के अंदर घुस आए और जमकर तांडव किया। इसी तांवड में अच्छी तादाद में किसान लाल किले तक पहुंच गए और वहां पर उन्होंने एक धर्म का झंडा लगा दिया। इस घटना पर पूरा देश इसे तिरंगे का अपमान बता रहा है। लोगों का कहना है कि लाल किले पर तिरंगे के अलावा कोई और झंडा नहीं लगाया जा सकता है, ऐसे में एक धर्म का झंडा लगाना देश का अपमान करना हुआ। वहीं मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने इस घटना का जिक्र किया, जिसे प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी जानना चाहिए कि तिंरगे के अपमान से पूरा देश आहत हुआ है।

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बता दें कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि , “इन सबके बीच, दिल्ली में, 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख, देश, बहुत दुखी भी हुआ। हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है। हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया। इस साल भी हमें कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करना है।”

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वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की भारी तादाद देखते हुए एहतियात के तौर पर प्रशासन ने शनिवार रात को 12 लेयर की बैरिकेडिंग लगा दी है। बता दें कि प्रशासन द्वारा यह कदम किसानों की तादाद को देखते हुए उठाया गया है। किसान नेता राकेश टिकैत के रोने की वीडियो वायरल होने के बाद यूपी के पश्चिमी इलाके से लोग गाजीपुर बॉर्डर पर हो रहे किसान प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रहे हैं।

बता दें कि केंद्र द्वारा पारित किसान कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमा पर कई किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इन तीन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीं किसानों को सरकार की तरफ से संशोधन करने का आश्वासन दिया गया है लेकिन किसान इन कानूनों को रद्द करवाने की मांग पर अड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में किसानों ने अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं।