Pramukh Swami Maharaj Birth Centenary: प्रमुख स्वामी महाराज को PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि, साथ बिताये ‘पुराने पलों’ को किया याद
Swami Maharaj Birth Centenary: प्रधानमंत्री ने आगे लिखा कि, ‘उन दिनों, मैं दुर्लभ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था। मुझे याद है कि उस समारोह में बातचीत के दौरान प्रमुख स्वामी महाराज ने एक टिप्पणी की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘निस्वार्थ सेवा ही समस्त जीवन का मात्र ध्येय है। हमें अंतिम क्षण तक मानव सेना में संलग्न रहना चाहिए’।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को प्रमुख स्वामी महाराज की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रमुख स्वामी महाराज का जन्म दिसंबर 1921 में हुआ था। उन्हें हिंदुओं के दैवीय गुरु स्वामी नारायण का पांचवां आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता था। इस अवसर पर पीएम मोदी ने स्वामी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गुजराती में एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बताया, ‘उन्हें कई मौकों पर बीएपीएस (BAPS) के पूर्व प्रमुख से वार्ता करने का अवसर प्राप्त हुआ था और इसके लिए वो खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।’
वहीं, बीएपीएस के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा कि, ‘मैं प्रमुख स्वामी महाराज जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। समाज के हित में किए गए कार्यों को लेकर वे समस्त विश्व में प्रशंसनीय हैं।’ पीएम मोदी ने आगे लिखा कि, ‘प्रमुख स्वामी महाराज की जयंती एक ऐसा मौका है, जब उन्हें उनके सेवा व मानवजाति के कल्याण की दिशा में उनके द्वारा किए गए कार्यों को स्मरण किया जाए। स्वामी महाराज अपने मूल्य आधारित सिंद्धातों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा ही सामाजिक कल्याण की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।’
विदित हो कि उनकी जयंती के अवसर पर विश्व के अलग-अलग भागों में उनके अनुयायियों और श्रद्धालुओं द्वारा भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, आगामी 15 दिसंबर 2022 से लेकर 15 जनवरी 2023 तक गुजरात के अहमदाबाद में भव्य मासिक महोत्सव का आयोजन भी होना है। इस महोत्सव में विभिन्न देशों से स्वामी जी के अनुयायी पहुंचेंगे। इस आयोजन का नाम स्वामी महाराज शताब्दी महोत्सव दिया गया है।
I pay my tributes to HH Pramukh Swami Maharaj Ji on his Jayanti. I consider myself blessed that I got the opportunity to interact with him on multiple occasions and also got a lot of affection from him. He is globally admired for his pioneering service to society. https://t.co/BvaO4pSr90
— Narendra Modi (@narendramodi) December 1, 2022
प्रमुख स्वामी महाराज की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी महाराज संग हुई अपनी मुलाकात को स्मरण करते हुए एक ट्वीट साझा किया है। जिसमें उन्होंने स्वामी महाराज संग हुई अपनी भेंट को शब्दों में बयां किया है। उन्होंने लिखा है कि, ‘जहां तक मुझे याद है। प्रमुख स्वामी महाराज से मेरी पहली मुलाकात साल 1980 में अहमदाबाद में हुई थी, जब भगवान स्वामी नारायण का द्विशताब्दी समारोह का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जा रहा था।
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा कि, ‘उन दिनों, मैं दुर्लभ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था। मुझे याद है कि उस समारोह में बातचीत के दौरान प्रमुख स्वामी महाराज ने एक टिप्पणी की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘निस्वार्थ सेवा ही समस्त जीवन का मात्र ध्येय है। हमें अंतिम क्षण तक मानव सेना में संलग्न रहना चाहिए’। तभी से उनकी छवि मेरे मन में छा गई थी। जिसे मैं आज तक नहीं भूल पाया हूं।
पीएम मोदी ने आगे लिखा कि,‘आध्यात्मिक जीवन के शिखर पर पहुंचने के बावजूद उनके अंदर मां के दिल जैसी ममता थी। उन्होंने एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि, ‘ एक घटना मुझे याद आ रही है, जब उन्होंने मुझे एकता यात्रा के खत्म होने के बाद लाल चौक पर झंडा फहराने पर फोन किया था। वो कोई सामान्य फोन कॉल नहीं था, बल्कि यह मां के उस ममता के जैसे थी, जो अपने बच्चे की परवाह करती है। उस समय दो लोगों ने मेरा हाल चाल लिया था, जिसमें एक थी मेरी मां और दूसरे थे प्रमुख स्वामी महाराज जी।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2001 में कच्छ भूकंप के दौरान प्रमुख स्वामी महाराज और बीएपीएस (BAPS) द्वारा किए गए राहत एवं बचाव कार्यों को याद करते हुए कहा कि, ‘स्वामी जी आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्य के दौरान हमेशा ही सबसे आगे रहे हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं 2001 में कच्छ भूकंप में प्रमुख स्वामी प्रमुख द्वारा किए गए कार्यों का गवाह रहा हूं। सामाजिक हित की दिशा में किए गए कार्यों में स्वामी प्रमुख हमेशा ही प्ररेणास्त्रोत रहे हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कोरोना काल के दौरान की चुनौतियों को याद करते हुए कहा कि, ‘बीएपीएस के स्वयंसेवकों ने अपनी जान को जोखिम में कोविड के दौरान मानव हित में काम किया था। जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।