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Covid-19: कोरोना के विपदा काल में भी कायम है PM मोदी की लोकप्रियता, जानें वजह

Covid-19: इस घोर विपदा के वक्त में भी पीएम की इस अभूतपूर्व लोकप्रियता के पीछे कुछ ठोस वजहें हैं। केंद्र सरकार की ओर से कोरोना की इस सेकेंड वेव के बारे में लगातार आगाह किया जाता रहा है। नेशनल कोविड 19 सुपरमाडल कमेटी ने मार्च के पहले हफ्ते में ही कोविड की इस सेकेंड वेव के बारे में आगाह कर दिया था। ये कमेटी केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय के तहत काम करती है।

नई दिल्ली। पीएम मोदी की लोकप्रियता कोरोना के इस विपदा काल में भी कायम है। एक प्रतिष्ठित अंतराष्ट्रीय एजेंसी के सर्वें के मुताबिक आज भी दो तिहाई आबादी को मोदी में यकीन है। उसे मोदी के उठाए गए कदमों में विश्वास है। दुनिया की प्रतिष्ठित ग्लोबल डेटा इंटेलिजेंस कंपनी मार्निंग कंसल्ट के इस हफ्ते किए सर्वे में पीएम मोदी की अप्रूवल रेटिंग 67 फीसदी आई है। ये तब है जबकि दूसरों की असफलता के लिए पीएम को जिम्मेदार ठहराने की एक सुनियोजित साजिश को देश-दुनिया में अंजाम दिया जा रहा है।

PM Narendra Modi

इस घोर विपदा के वक्त में भी पीएम की इस अभूतपूर्व लोकप्रियता के पीछे कुछ ठोस वजहें हैं। केंद्र सरकार की ओर से कोरोना की इस सेकेंड वेव के बारे में लगातार आगाह किया जाता रहा है। नेशनल कोविड 19 सुपरमाडल कमेटी ने मार्च के पहले हफ्ते में ही कोविड की इस सेकेंड वेव के बारे में आगाह कर दिया था। ये कमेटी केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय के तहत काम करती है। इस कमेटी की अगुवाई करने वाले आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर ने बताया है कि मार्च 8-9 के बीच ही महाराष्ट्र, केरल और छत्तीसगढ़ में इस सेकेंड वेव की शुरूआत के सबूत मिल गए थे। केंद्र की ओर से इन राज्यों को आगाह भी कर दिया गया था। मगर इन राज्यों ने अपने आंख-कान पर पट्टी बांध रखी थी।

इस बीच केरल, तमिलनाडु और पांडुचेरी जैसे राज्यों से राहुल गांधी की बिना मास्क लगाए लोगों के साथ नाचते, झूमते, उन्हें गले लगाते और तैराकी करती तस्वीरें वायरल होती रहीं। यही काम प्रियंका गांधी असम के चाय बागानों में करती रहीं। छत्तीसगढ़ के सीएम अपने राज्य में सेकेंड वेव के सबूत मिलने के बावजूद असम में राहुल गांधी की खिदमत में डटे रहे। उन्होंने एक बार भी भूलकर अपने राज्य की ओर नही देखा। यहां तक कि नक्सल अटैक में 22 जवानों की दर्दनाक मौत के 24 घंटे बाद तक भी वो असम में ही डटे रहे। बाद में जब सोशल मीडिया पर लानत मलानत का लंबा दौर चला तो वे भागकर छत्तीसगढ़ पहुंचे।

नेशनल कोविड सुपरमाडल कमेटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक चुनावी रैली और कुंभ से सेकेंड वेव का स्पष्ट लिंक नहीं जोड़ा जा सकता। इस सेकेंड वेव के आने की वजह यह रही है कि लोगों ने कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं किया। सबसे पहले विपक्ष ने कोविड वैक्सीन पर सवाल उठाना शुरू किया। अखिलेश यादव ने कोरोना की वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन तक करार दिया। उन्होंने वैक्सीन मुहिम को सजावटी-दिखावटी करार देकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की। असदुद्दीन ओवैसी ने कोवीशील्ड के असर पर सवाल खड़े किए। कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा, शशि थरूर और जयराम रमेश ने भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को डिस्क्रेडिट करने का अभियान चलाया। इन लोगों ने ट्रायल पूरे न करने जैसे आरोप लगाकर लोगों को गुमराह करने का काम किया। ये सब तब हो रहा था जब भारत बायोटेक की ओर से सभी जरूरी वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद लगातार कहा जा रहा था कि वैक्सीन 80 से 85 फीसदी इफेक्टिव है।

corona vaccine

पीएम मोदी खुद इस सेकेंड वेव के बारे में राज्यों को आगाह कर रहे थे। 17 मार्च को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ये कहते हुए साफ चेतावनी दी थी, ‘अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देशव्यापी संक्रमण की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई ‘सेकंड पीक’ को तुरंत रोकना ही होगा। इसके लिए हमें तेज और निर्णायक कदम उठाने होंगे।’

PM Narendra Modi

पीएम ने इस दौरान टीकों की बर्बादी का मुद्दा भी उठाया था और अधिक से अधिक टीकाकरण केंद्र बनाए जाने को कहा था। ध्यान देने वाली बात यह है कि पीएम की बुलाई इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल शामिल नहीं हुए। इन नेताओं की ओर से लोगों की जिंदगी से जुड़े मामले पर एक तरफ भ्रम फैलाने की कोशिश की गई और दूसरी ओर केंद्र को सहयोग से भी साफ इंकार किया गया। ये सारी बातें लोगों के बीच हैं। देश की आम जनता ने मोदी की कोशिशें भी देखी हैं और आम जनता की जान की कीमत पर मोदी को बदनाम करने की घटिया साजिश भी। यही वजह है कि आज भी देश का यकीन मोदी में है।