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PM Narendra Modi On Constitution Debate In Lok Sabha : कांग्रेस के मुंह लग गया संविधान संशोधन का खून, लोकसभा में बरसे पीएम नरेंद्र मोदी

PM Narendra Modi On Constitution Debate In Lok Sabha : प्रधानमंत्री ने संविधान पर चर्चा के दौरान कहा, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू) ने बोया था उसको खाद, पानी देने का काम एक अन्य प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया। कांग्रेस सरकार ने 1971 में संविधान संशोधन करके अदालत के पर काट दिए थे और यह पाप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में आयोजित विशेष चर्चा में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पीएम ने कहा, संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया है कि समय-समय पर वह संविधान का शिकार करती रही है। यह खून मुंह लग गया। इतना ही नहीं कांग्रेस संविधान की स्पिरिट को लहूलुहान करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू) ने बोया था उसको खाद, पानी देने का काम एक अन्य प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया।

मोदी ने कहा, कांग्रेस सरकार ने 1971 में संविधान संशोधन करके अदालत के पर काट दिए थे। संसद जो चाहे संविधान में संशोधन कर सकती है और अदालत उसकी तरफ देख भी नहीं सकती। अदालत के सारे अधिकारों को छीन लिया गया था और यह पाप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। संविधान संशोधन करने का खून तो मुंह लग गया था कोई रोकने वाला तो था नहीं इसलिए जब इंदिरा जी के चुनाव को असंवैधानिक तरीके से लड़े जाने के कारण अदालत ने खारिज कर दिया और उन्हें एमपी पद छोड़ने की नौबत आई तो उन्होंने गुस्से में आकर अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश पर आपातकाल लगा दिया था। भारत के लोकतंत्र का गला घोंट दिया।

पीएम ने कहा, कांग्रेस ने अपने संविधान का खुद ही पालन नहीं किया। जब राज्य इकाइयों ने सरदार पटेल का समर्थन किया तो नेहरू को नेता बना दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा, हमने भी संविधान में संशोधन किया, लेकिन देश की एकता, महिलाओं और ओबीसी को सशक्त बनाने के लिए। मोदी बोले, संविधान के साथ छेड़छाड़ करना, उसकी भावना को कमजोर करना कांग्रेस पार्टी की रगों में रहा है।

प्रधानमंत्री बोले, बीजेपी के लिए संविधान की पवित्रता सर्वोपरि है और ये सिर्फ शब्द नहीं हैं। जब भी हमारी परीक्षा हुई है हम और मजबूत होकर उभरे हैं। मैं एक उदाहरण देना चाहता हूँ, 1996 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राष्ट्रपति ने संविधान की भावना के अनुरूप सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन, अटल बिहारी वाजपेई जी ने सौदेबाजी का रास्ता नहीं अपनाया, बल्कि संविधान का सम्मान करने का रास्ता चुना, एक वोट से हारना स्वीकार किया और इस्तीफा दे दिया। यह हमारा इतिहास है, यह हमारे संस्कार हैं, यह हमारी परम्परा है।