बिहार में सियासी यात्राओं के जरिए ‘चुनावी मोड’ में हैं राजनीतिक दल

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी सात से आठ महीने का समय बाकी है, मगर सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ‘चुनावी मोड’ में आ गई हैं। ये पार्टियां चुनावी पिच का मुआयना करने के लिए अपने दिग्गज खिलाड़ियों को मैदान में उतार रही हैं।

Avatar Written by: February 19, 2020 9:40 am

पटना। बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी सात से आठ महीने का समय बाकी है, मगर सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ‘चुनावी मोड’ में आ गई हैं। ये पार्टियां चुनावी पिच का मुआयना करने के लिए अपने दिग्गज खिलाड़ियों को मैदान में उतार रही हैं। सभी दलों का जोर यात्राओं पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ही दिन पहले अपनी जल-जीवन-हरियाली यात्रा के तहत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर लोगों को पर्यावरण जागरूकता का पाठ पढ़ाकर लौटे हैं। इस क्रम में नीतीश ने हालांकि पर्यावरण संतुलन का लोगों को पाठ पढ़ाया है, लेकिन इस यात्रा के माध्यम से मुख्यमंत्री अपने विकास कार्यो का बखान कर मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने से बाज नहीं आए। मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं की जानकारी दी तथा भविष्य की योजनाओं का भी उल्लेख किया।

nitish kumar

इधर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी यात्रा करने की योजना बनाई है। तेजस्वी 23 फरवरी से ‘बेरोजगारी हटाओ’ यात्रा की शुरुआत करने वाले हैं। तेजस्वी इस यात्रा के माध्यम से जहां युवाओं को साधने की कोशिश करेंगे, वहीं बेरोजगारी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर नीतीश की नीतियों को भी असफल बताने की कोशिश करेंगे।

तेजस्वी की इस यात्रा के लिए पार्टी आधुनिक सुविधा से लैस एक बस को ‘रथ’ का रूप में देने जुटी है। 23 फरवरी को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में सभा होगी, जिसमें राजद के नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे। तेजस्वी सभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद रथ को हरी झंडी दिखाई जाएगी। रथ पर सवार होकर तेजस्वी पूरे बिहार का दौरा करेंगे और लोगों को बेरोजगारी के मुद्दे पर जागृत करेंगे।

Yuva Kranti Rath prepared for a rally led by RJD leader Tejashwi Yadav against Bihar CM Nitish Kumar for rising unemployment

इधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के युवराज और पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान भी एक यात्रा के जरिए राज्य का दौरा करेंगे। 21 फरवरी से शुरू चिराग की यात्रा का नाम ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ दिया गया है।

लोजपा के अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद चिराग पासवान के लिए बिहार विधानसभा चुनाव अग्निपरीक्षा है। अध्यक्ष बनने के बाद चिराग झारखंड और दिल्ली चुनाव में असफल हो चुके हैं। ऐसे में बिहार में अपना जनाधार बनाए रखना चिराग के लिए बड़ी चुनौती है। पिछले साल नवंबर में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग को लोजपा के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी थी।

chirag paswan

इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा भी अपनी चुनावी रणनीतियों की तैयारी करने में जुटी है। इसी बीच, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कन्हैया कुमार भी इन दिनों नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में अपनी जन-गण-मन यात्रा के दौरान बिहार के दौरे पर हैं और सभाएं कर रहे हैं। कन्हैया अपनी सभाओं में जहां केंद्र और राज्य सरकार पर सियासी हमले बोल रहे हैं, वहीं इन सरकारों की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।

कहा जा रहा है कि कन्हैया इस चुनावी साल में अभी से वामपंथी दलों की खोई जमीन को तलाश रहे हैं तथा मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। चुनावी वर्ष में चुनावी रणनीतिकार और जद (यू) के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मंगलवार को राजधानी में पहुंचकर बिहार की सियासत को और हवा दे दी। प्रशांत किशोर ने हालांकि किसी पार्टी या गठबंधन से जुड़ने की घोषणा तो नहीं की, लेकिन ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम की शुरुआत की घोषणा कर युवाओं को जोड़ने की बात जरूर की।

Indian political strategist Prashant Kishor gestures during a press conference

बहरहाल, सभी पार्टियों ने अपने दिग्गजों को चुनावी पिच का मुआयना करने के लिए तो मैदान में उतार दिया है, मगर अभी टॉस का इंतजार है। टॉस के बाद ‘मैच’ शुरू होने पर ही पता चलेगा कि कौन सी पार्टी पिच को परखने में कितना सही साबित हुई।