नई दिल्ली। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का 44 वां दिन और सरकार के साथ किसानों की आठवें दौर की बैठक की तय तारीख। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सरकार किसानों के कई मांगों को मानने को तैयार है। लेकिन सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है कि ये कानून वापस नहीं होंगे। इसके जिन प्रावधानों से किसानों को आपत्ति है वह उसपर विचार करने और कानून में संशोधन करने को तैयार है। लेकिन किसान नेता इस बात पर अड़े हैं कि पहले इन तीनों कृषि कानूनों को खारिज किया जाए। इसके बाद ही इस पर आगे विचार किया जाएगा। इसके साथ ही किसान नेता इस बात की भी मांग कर रहे हैं कि इन कानूनों को खारिज करने के बाद सरकार किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून लेकर आए।
इस सब के बीच किसान आंदोलन को लगभग सभी राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है। लेकिन किसान नेता लगातार इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि इस आंदोलन में किसी राजनीतिक दल के समर्थन की कोई जरूरत नहीं है। वहीं कांग्रेस किसान आंदोलन की शुरुआत के साथ से ही भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर नजर आ रही है। इस कानून को खारिज करने की मांग के साथ 2 बार राहुल गांधी राष्ट्रपति भवन पहुंचकर पत्र भी सौंप चुके हैं। वहीं किसानों के समर्थन में रैली निकालने की वजह से प्रियंका वाड्रा को गिरफ्तार भी किया गया था।
वहीं किसानों के समर्थन में दिल्ली के जंतर मंतर पर 32 दिनों से कांग्रेस के नेता धरना दे रहे हैं। जंतर-मंतर पर बैठे कांग्रेस सांसद कृषि बिल वापस लेने के किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। आज धरने पर बैठे कांग्रेस के सांसदों से महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। अपने सांसदों से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस सांसद किसान विरोधी कानून के खिलाफ हर मोर्चे पर किसानों के साथ खड़े हैं। वहीं आगे प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस किसान आंदोलन के समर्थन में है और ‘हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे। हम किसानों के साथ हमेशा रहे हैं। बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे।’
इसके साथ ही केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए प्रियंका ने कहा कि इस मामले में सरकार के पास अपने बचाव का कोई तरीका नहीं हैं ऐसे में ‘समाधान यही है कि कानून वापिस लें और इसके अलावा कोई समाधान नहीं है।’