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मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में अपनी ही सरकार को कोस बैठे राहुल गांधी

इस ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधने के चलते राहुल गांधी ये भूल गए कि यह पूरा मामला उनकी पिछली मनमोहन सिंह सरकार के दौर का है।

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी का एक ट्वीट उनके और उनकी पार्टी के लिए मुसीबत का कारण बना हुआ है। सोमवार को राहुल गांधी ने अपने ट्वीट से मोदी सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की लेकिन वो अपने ही ट्वीट से घिर गए।

Rahul Gandhi sad

बता दें कि महिला अधिकारियों के सेना में स्थायी कमीशन पाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी अपने ट्वीट में लिखा, “सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान यह कहते हुए कि महिला सैन्य अफसर कमांड पोस्ट या स्थायी सेवा के लिए डिजर्व नहीं करतीं क्योंकि उनको लेकर पुरुष सहज महसूस नहीं करते हैं, भारतीय महिलाओं का अपमान किया है। मैं भारत की महिलाओं को खड़े होने और बीजेपी सरकार को गलत साबित करने के लिए बधाई देता हूं।”

Rahul Gandhi Tweet

इस ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधने के चलते राहुल गांधी ये भूल गए कि यह पूरा मामला उनकी पिछली मनमोहन सिंह सरकार के दौर का है। बता दें कि मनमोहन सिंह सरकार ने 6 जुलाई 2010 को सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन दिए जाने का फैसला सुनाया था।

राहुल गांधी के इस ट्वीट पर लोगों ने कुछ ऐसे रिप्लाई किए..

दरअसल केंद्र सरकार ने जुलाई, 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट के 12 मार्च 2010 के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाई कोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। हालांकि केंद्र की दलील थी कि भारतीय सेना में यूनिट पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे।

केंद्र की ओर से यह अपील हाई कोर्ट के 12 मार्च के फैसले पर किसी भी तरह के निर्देश का पालन नहीं किए जाने पर कोर्ट की सिंगल बेंच की ओर से सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद की गई। साथ ही केंद्र की ओर से यह भी याचिका लगाई गई कि हाई कोर्ट के फैसले पर अमल पर रोक लगाने के साथ ही रिव्यू भी किया जाए।

Indian army women

केंद्र सरकार की दलील थी कि सेना में ज्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को लेकर बहुत सहज नजर नहीं आते। महिलाओं की शारीरिक स्थिति, परिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें उन्हें कमांडिंग अफसर बनाने में बाधक हैं। तब केंद्र की ओर से याचिका लगाने वाले एडवोकेट अनिल कटियार ने कहा था कि हमने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है और इसके अमल पर भी रोक लगाने का अनुरोध भी किया है।