नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन को शुक्रवार को एक महीना पूरा हो गया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी के साथ-साथ उनकी अन्य मांगें नहीं मानेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। वहीं दिल्ली के द्वारका में एक कार्यक्रम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने किसान चौपाल को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ ने कृषि कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों (Farm Law) को एक साल के लिए लागू होने दें।अगर ये किसानों (Farmers) के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ तो हम इसमें आवश्यक संशोधन करने के लिए तैयार हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं अटल बिहारी जी के साथ चौधरी चरण सिंह जी को भी याद करना चाहूंगा, वे किसानों के सर्वमान्य नेता थे। चौधरी चरण सिंह जी को कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ने बार-बार धोखा दिया, जब वे UP के CM थे तो उस समय भी उनकी सरकार को गिराने का काम इन्ही दोनों पार्टियों ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के लिए तीन क़ानून बनाए गए हैं। लेकिन आज कुछ लोगों के द्वारा गलतफहमी पैदा की जा रही है कि MSP खत्म कर दी जाएगी। मैं किसानों को वचन दे रहा हूं कि किसी भी कीमत पर MSP खत्म नहीं होगी।
मैं अटल बिहारी जी के साथ चौधरी चरण सिंह जी को भी याद करना चाहूंगा, वे किसानों के सर्वमान्य नेता थे। चौधरी चरण सिंह जी को कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ने बार-बार धोखा दिया, जब वे UP के CM थे तो उस समय भी उनकी सरकार को गिराने का काम इन्ही दोनों पार्टियों ने किया: रक्षा मंत्री https://t.co/fFu8a04Irv
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 25, 2020
इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि, ‘मैं खुद किसान का बेटा हूं। मोदी सरकार कभी ऐसा कुछ नहीं करेगी जो किसानों के हितों के खिलाफ हो। अभी एक या दो साल के लिए कृषि कानूनों को लागू करने दिया जाए। इसे प्रयोग के तौर पर देखते हैं और अगर ये किसानों के लिए लाभकारी साबित नहीं होते तो सरकार हरसंभव संशोधन को तैयार रहेगी।’
राजनाथ सिंह ने कहा, हर समस्या का समाधान बातचीत से निकल सकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से बातचीत जारी रखने के पक्ष में हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें न्योता भेजा है। उन्होंने सभी आंदोलनकारी किसानों से कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए आगे आने की अपील की है।