नई दिल्ली। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमाई हुई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए उनकी सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अशोक गहलोत ने आशंका जताई कि गुजरात और राजस्थान में राज्यसभा के चुनावों में इरादतन दो माह की देरी की गई क्योंकि वे ‘खरीद-फरोख्त’ पूरी नहीं नहीं कर पाए थे। विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते कांग्रेस ने बुधवार को राजस्थान के अपने विधायकों को एक रिसॉर्ट में पहुंचाया है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने सीएम गहलोत के हवाले से कहा, “चुनाव (राज्यसभा) यहां है। इसे दो महीने पहले कराया जा सकता था, लेकिन उन्होंने गुजरात और राजस्थान में ‘खरीद और बिक्री’ को पूरा नहीं किया था, इसलिए उन्होंने इसमें देरी की। चुनाव अब होने जा रहे हैं और स्थिति जस की तस है।”
How long will you do politics by indulging in horse-trading? It will not be surprising if Congress gives them a jolt in the time to come. Public can understand everything. Today’s meeting was very fruitful. Everyone is united, we’ll meet again tomorrow: Rajasthan CM Ashok Gehlot https://t.co/bz7f9LWZwL pic.twitter.com/jS6zIHx4GG
— ANI (@ANI) June 11, 2020
राजस्थान में 19 जून को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान होगा, जहां कांग्रेस ने दो उम्मीदवार खड़े किए हैं -केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी। जबकि भाजपा ने भी दो उम्मीदवार -राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है।
इस बीच, भाजपा के राज्य अध्यक्ष सतीश पुनिया ने आईएएनएस को बताया, “यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा फैलाया गया प्रोपगंडा मात्र है। मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूं कि वे अपने आरोपों के पक्ष में सबूत के साथ सामने आएं।”
उन्होंने आगे कहा, “वास्तव में कांग्रेस को अपने घर को ठीक करने की जरूरत है। पार्टी में कई मंत्री और विधायक हैं, जिन्हें महीनों से नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार एक कंफोर्ट जोन में है और एक टीम के रूप में काम नहीं कर रही है। अब हमने अपना दूसरा उम्मीदवार उतार दिया है तो पूरी पार्टी तनाव में आ गई है और अपने सभी विधायकों से संपर्क करने लगी है।”
पुनिया ने हालांकि कहा, “निर्दलीय विधायकों या एक क्षेत्रीय पार्टी के विधायक को खुला निमंत्रण है कि जो कांग्रेस सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं, वे हमारे साथ आ सकते हैं। इसमें कोई नुकसान नहीं है।”
कांग्रेस के पास अपने 107 विधायक हैं और उसे आरएलडी के एक विधायक, और निर्दलीय 13 विधायकों, बीटीपी और माकपा के विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जबकि भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है।