नई दिल्ली। महाराष्ट्र में हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा पिछले कई दिनों से जारी है। पहले तो यह सियासी संघर्ष महज मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ही सीमित था, लेकिन अब इस जंग की आंच शिवसेन की परिधि तक पहुंच चुकी है। ऐसे में अब असली जंग शिवसेना पर अपनी बादशाहत कायम करने को लेकर शुरू हो चुकी है, क्योंकि एकनाथ शिंदे की रहनुमाई में बागी गुटों ने बालासाहब ठाकरे के नाम पर अलग दल बनाने का ऐलान कर दिया है, जिस पर उद्धव ठाकरे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है। ऐसे में कोई दूसरा असली शिवसैनिक होने का दावा नहीं कर सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने का भी ऐलान कर दिया है। उधर, अब महाराष्ट्र की सियासी रार हिंसात्मक हो चुकी है। उद्धव गुटों की ओर से शिंदे गुट के बागी नेताओं के घरों और कार्यालयों पर हमले किए जा रहे हैं। बीते शनिवार को कई ऐसे वीडियो प्रकाश में आए, जिसमें उद्धव समर्थक शिंदे गुट के नेताओं के घरों और कार्यालयों पर हमला करते हुए दिखें थें। जिसके बाद शिंदे गुट के नेताओं ने अपनी जान को खतरा बताकर खुद के लिए वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने की मांग की। जिस पर विचार करने के उपरांत अब खबर है कि शिंदे गुट के बागी विधायकों को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है और इन बागी विधायकों ने पुलिस प्रशासन से उन सभी असामाजिक तत्वों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की मांग की है, जिन्होंने उनके घरों और कार्यलयों को निशाना बनाया है। वहीं उद्धव समर्थकों द्वारा किए गए उक्त कृत्य की चौतरफा निंदा की जा रही है। बता दें कि इससे पहले कथित तौर पर संजय राउत ने भड़काऊ भाषण भी दिया था, जिसे लेकर अब उन्हें निशाने पर भी लिया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि अब यह लड़ाई सड़क पर आ चुकी है।
केंद्र सरकार ने शिवसेना के 15 बागी विधायकों को ‘Y+’ श्रेणी के सशस्त्र केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) सुरक्षा कवच प्रदान किया है: सूत्र
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2022
मान-मनौव्वल तरह से कभी गुजरात, तो कभी असम रवाना होना बंद करें। उधर, शिवसेना समेत कांग्रेस का कहना है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल पुथल में बीजेपी का हाथ है। बीजेपी को यह बिल्कुल भी रास नहीं आता है कि किसी प्रदेश में उसके विरोधी दलों की सरकार हो। लिहाजा ये ऑपरेशन लोटल के तहत विरोधी खेमों की सरकार को गिराने की भरसक कोशिश करते हैं।
इससे पहले ये लोग ऐसा मध्यप्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में कर चुके हैं। उधर, खबर है कि बीते शनिवार को सूरत में गुपचुप तरीके से शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस से वार्ता की थी, जिसमें कथित तौर पर अमित शाह की मौजूदगी की भी खबर थी। कथित तौर पर इन तीनों ही नेताओं के बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने की हेतु कार्ययोजना के तैयार करने पर विचार किया गया था। ध्य़ान रहे कि इससे पहले शिंदे खुद कह चुके हैं कि उन्हें किसी बड़े राष्ट्रीय दल का सहयोग प्राप्त है।
उधर, उद्धव लगातार मान-मनौव्वल करते हुए दिख रहे हैं। वहीं, शिवसेना के घटक दलों का कहना है कि वे अंतिम क्षण तक उद्धव का साथ निभाते रहेंगे, लेकिन शिंदे खेमे में लगातार बागी विधायकों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। आदित्य ठाकरे का कहना है कि बीजेपी हमारे विधायकों को खरीदने के लिए लाखों करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिलेगी। अब ऐसे में प्रदेश की राजनीतिक दशा क्या रुख अख्तियार करती है ।इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम