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Recession Risk: सामने आया बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण, अर्थशास्त्रियों ने खुद किया मोदी सरकार का झंडा बुलंद बताया भारत ने विकसित देशों को पछाड़कर पेश की मिसाल

वहीं, अगर दूसरे यूरोपीय देशों की बात करें, तो वहां भी  आर्थिक मोर्चे पर हालात बद से बदतर हो चुके हैं। आपको बता दें कि न्यूजीलैंड, ताइवान और फिलीपींस में सरीखे देशों में आर्थिक मंदी क्रमश: 33%, 20%, 20% और  8% तक पहुंच चुके हैं। यही नहीं, आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात की आशंका जताई गई है कि आगामी दिनों में इन देशों में हालात और भी ज्यादा बदतर हो सकते हैं।

नई दिल्ली। ज़रा ध्यान दीजिएगा….कांग्रेस से लेकर सपा…सपा से लेकर बसपा…बसपा से लेकर तृमणूल कांग्रेस…सारे विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार पर मुख्तलिफ मसलों को लेकर हमलावर रहती है, लेकिन इन मुख्तलिफ मसलों में सबसे अहम मसला महंगाई, आर्थिक मंदी और बेरोजगारी रहता है। मतलब…देश का विपक्षी दल यह दिखाने की कोशिश में जुटा है कि मौजूदा सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से पस्त हो चुकी है और देश की जनता भी आर्थिक मोर्चे पर अब बदहाल हो चुकी है। आगामी लोकसभा चुनाव व  विभिन्न राज्यों में होने वाले निकटतम विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे हमले और भी तीक्ष्ण होते जा रहे हैं, लेकिन अर्थशास्त्रियों  की टोली द्वारा तैयार की कई आर्थिक सर्वेक्षण सामने आई है, जिसे जानकर आपको तो बहुत खुशी होगी, क्योंकि आप इस देश के नागरिक हैं और मौजूदा सरकार को भी बेहद खुशी होगी, लेकिन अफसोस देश के विपक्षी दलों का दिमागी संतुलन इस सर्वेक्षण को देखकर जरूर बिगड़ने वाला है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर उस आर्थिक सर्वेक्षण में ऐसा क्या है। तो चलिए हम आपको सब कुछ विस्तार से बताते हैं।

जानें आर्थिक सर्वेक्षण

दरअसल, इस आर्थिक सर्वेक्षण में जहां आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रशंसनीय कार्यों पर मुहर लगाई गई है। तो वहीं विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे आक्षेपों को भी निर्मूल साबित कर दिया है। यह आर्थिक सर्वेक्षण विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा संग्रहित किए गए आंकड़ों के आधार पर ब्लूमर्ग ने तैयार किए हैं, जिसमें यह दावा किया गया है कि भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति कई यूरोपीय देशों से कई गुना बेहतर है। ब्लूमर्ग द्वारा जारी किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, श्रीलंका में आर्थिक मंदी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। वहां आर्थिक मंदी पर दशा बिल्कुल दयनीय हो चुकी है। श्रीलंका में आर्थिक मंदी के कारण बीते दिनों राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को इस्तीफा देना पड़ा था। श्रीलंका की आर्थिक बदहाली से त्रस्त हो चुकी जनता सड़क पर आकर हुकूमत के खिलाफ मोर्चा तक खोल चुकी है।

वहीं, अगर दूसरे यूरोपीय देशों की बात करें, तो वहां भी  आर्थिक मोर्चे पर हालात बद से बदतर हो चुके हैं। आपको बता दें कि न्यूजीलैंड, ताइवान और फिलीपींस सरीखे देशों में आर्थिक मंदी क्रमश: 33%, 20%, 20% और  8% तक पहुंच चुकी है। यही नहीं, आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात की आशंका जताई गई है कि आगामी दिनों में इन देशों में हालात और भी ज्यादा बदतर हो सकते हैं। ऐसे में अब यह देखना होगा कि आगामी दिनों में इन देशों द्वारा आर्थिक मोर्चे पर हालातों को दुरूस्त करने की दिशा में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इसके साथ ही ब्लूमर्ग ने अपने आर्थिक सर्वेक्षण में निकट भविष्य में मौजूदा आर्थिक दशा के मद्देनजर चीन, जापान और दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों की आर्थिक स्थिति के दुरूह होने की संभावना जताई गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में जर्मनी में उर्जा की कीमतों में भी इजाफा होने के संभावना व्यक्त की गई है।

वहीं, आप उपरोक्त ग्राफ में देख सकते हैं कि कैसे यहां विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों को बयां किया गया है। यहां आप विभिन्न देशों के साथ-साथ भारत की आर्थिक स्थिति को भी आंकड़ों क रूप में देख सकते हैं। तो उपरोक्त आंकड़ों के मुताबिक,  भारत में आर्थिक मंदी की संभावना बिल्कुल शून्य है और ना ही मौजूदा वक्त में ऐसी कोई भी संभावना बनती हुई नजर आ रही है। बता दें कि इसकी पुष्टि किसी और ने नहीं, बल्कि ब्लूमर्ग ने अपनी रिपोर्ट में खुद की है, जिसमें भारत में आर्थिक मंदी के फैलने की संभावना जीरो फीसद बताई गई है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि विपक्षी दलों द्वारा केंद्र की मोदी सरकार पर आर्थिक मोर्चे पर विफल होने के लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। अब आप ही बताइए कि इन आंकड़ों के देखने के उपरांत विपक्षी दलों का दिमागी संतुलन बिगड़ा की नहीं। खैर, आपका इन उपरोक्त आंकड़ों पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।