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Arvind Kejriwal: ध्रुव राठी के वीडियो को रिट्वीट करने के मामले में अरविंद केजरीवाल को राहत, जानिए SC ने दिया क्या आदेश?

Arvind Kejriwal: हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने पर असहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि जब कोई सार्वजनिक हस्ती मानहानिकारक पोस्ट ट्वीट करता है, तो इसका प्रभाव किसी के कान में फुसफुसाहट से कहीं अधिक होता है। मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय से कहा था कि वह यह समझने में विफल रहे कि उनके ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता को नुकसान पहुंचाना नहीं था। सांकृतायन ने दावा किया कि जर्मनी में रहने वाले राठी द्वारा प्रसारित ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट II’ शीर्षक वाले यूट्यूब वीडियो में कई झूठे और मानहानिकारक आरोप हैं।

नई दिल्ली। ध्रुव राठी के एक वीडियो को रीट्वीट करने से जुड़े मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शिकायतकर्ता के साथ विवाद सुलझाने का समय दिया है। सोमवार को हुई सुनवाई को लेकर जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि पहले जारी अंतरिम निषेधाज्ञा अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी। 11 मार्च के बाद मामले को लेकर शिकायतकर्ता से कोई संपर्क नहीं हुआ। केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि 11 मार्च को अंतिम सुनवाई के बाद दोनों पक्ष समझौते के लिए एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर सके। मूलतः, केजरीवाल ने मई 2018 के एक आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें जारी किए गए समन को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

शिकायतकर्ता के वकील विकास सांकृत्यायन ने दलील दी कि पिछली सुनवाई के बाद किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया। पीठ ने केजरीवाल के पक्ष को अब शिकायतकर्ता तक पहुंचने का निर्देश दिया, अगली सुनवाई 12 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी। शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को केजरीवाल से पूछा था कि क्या वह शिकायतकर्ता से माफी मांगना चाहते हैं।

केजरीवाल कैसे माफ़ी मांग सकते हैं

केजरीवाल ने 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उन्होंने बीजेपी आईटी सेल से जुड़े यूट्यूबर राठी द्वारा प्रसारित कथित मानहानिकारक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी। सिंघवी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि केजरीवाल अपने कृत्य के लिए ‘एक्स’ या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफी मांग सकते हैं।

SC द्वारा केजरीवाल से पूछे गए प्रश्न

26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किए बिना शिकायतकर्ता से पूछा कि क्या वे याचिकाकर्ता द्वारा अपने वकील के माध्यम से अपनी गलती स्वीकार करने के मद्देनजर मामले को बंद करना चाहते हैं। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को अगले आदेश तक मामले से संबंधित किसी भी मानहानि की कार्यवाही में शामिल नहीं होने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने 5 फरवरी के अपने फैसले में कहा था कि मानहानिकारक सामग्री को दोबारा पोस्ट करना मानहानि कानून के तहत आएगा।

क्या था ध्रुव राठी के वीडियो में?

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने पर असहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि जब कोई सार्वजनिक हस्ती मानहानिकारक पोस्ट ट्वीट करता है, तो इसका प्रभाव किसी के कान में फुसफुसाहट से कहीं अधिक होता है। मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय से कहा था कि वह यह समझने में विफल रहे कि उनके ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता को नुकसान पहुंचाना नहीं था। सांकृतायन ने दावा किया कि जर्मनी में रहने वाले राठी द्वारा प्रसारित ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट II’ शीर्षक वाले यूट्यूब वीडियो में कई झूठे और मानहानिकारक आरोप हैं।