नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि देश का विभाजन कभी ना मिटने वाली वेदना है और ये तभी खत्म होगी जब विभाजन ख़त्म होगा, जब ये निरस्त होगा। टुकड़े-टुकड़े गैंग पर निशाना साधते हुए भागवत ने कहा कि- जो कहते हैं कि हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान, उनको बता देना चाहता हूं कि ये 2021 है, 1947 नहीं। भागवत ने कहा कि विभाजन के समय देश ने बहुत बड़ी ठोकर खाई है। इसको भूलेंगे नहीं इसलिए अब विभाजन संभव नहीं, जो इसके लिए प्रयास करेगा तो उसके टुकड़े होंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नोएडा में लेखक कृष्णानंद सागर की पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि ‘विभाजन का प्रश्न राजनैतिक सवाल नहीं बल्कि अस्तित्व से जुड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि विभाजन इसलिए स्वीकार किया गया ताकि खून की नदियां ना बहे, लेकिन सच्चाई ये है कि अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है। भागवत ने कहा है कि विभाजन के लिए उस समय की परिस्थितियों से ज्यादा इस्लाम और ब्रिटिश के आक्रमण का परिणाम था।
भागवत ने कहा कि विभाजन के बाद उनका जन्म हुआ और विभाजन के 10 साल बाद समझ में आया, जब समझ में आया तो नींद नहीं आयी, विभाजन के इतिहास का अध्ययन होना चाहिए। जीती जागती भारतमाता के विभाजन का अध्यन होना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री को संविधान के साथ चलना पड़ता है, लेकिन उनको भी 14 अगस्त को कहना पड़ता है कि इस विभाजन को भूलना नहीं चाहिए, इसलिए जो खण्डित हुआ उसे अखंड बनाना होगा।
विभाजन के पीछे इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत के विभाजन के पीछे कुछ परिस्थितियां जरूर थी लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण ही था। उन्होंने कहा कि इस विभाजन से कोई सुखी नहीं। इस्लाम का आक्रमण और अंग्रेजों का आक्रमण इसकी वजह है। उन्होंने कहा कि गुरुनानक जी इस पर सावधान किया था, उन्होंने कहा कि ये आक्रमण हिन्दुस्तान पर है।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत का विभाजन योजनाबद्ध तरीक़े से षड्यंत्र के तहत किया गया। अंग्रेजों ने भारत को तोड़ने की साजिश रची और वो अपनी चाल में कामयाब हो गए। लेकिन 15 अगस्त 1947 के बाद भी ये संघर्ष खत्म नहीं हुआ। टुकड़े टुकड़े गैंग पर निशाना साधते हुए भागवत ने कहा कि जो कहते हैं कि हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान, उनको बता देना चाहता हूं कि ये 2021 है, 1947 नहीं।