‘सामना’ के जरिए शिवसेना ने फिर से साधा भाजपा पर निशाना
इसी बीच शिवसेना ने एक बार फिर से भाजपा पर निशाना साधा है और कहा है कि, शिवसेना घुटने नहीं टेकने वाली है। भाजपा को अगर सरकार बनान है तो फिर पैसे, पुलिस और ईडी की धाक से बना ले सरकार।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच कुछ भी ठीक होता नहीं दिख रहा है और साथ ही राज्य में किसकी सरकार किसकी मदद से बनेगी अभी तक इस पर सस्पेंस बरकरार है। इसी बीच शिवसेना ने एक बार फिर से भाजपा पर निशाना साधा है और कहा है कि, शिवसेना घुटने नहीं टेकने वाली है। भाजपा को अगर सरकार बनाना है तो फिर पैसे, पुलिस और ईडी की धाक से बना ले सरकार।
शिवसेना ने सामना में लिखा-
“महाराष्ट्र का चुनाव परिणाम स्पष्ट है। भारतीय जनता पार्टी को 105 सीटें मिलीं। शिवसेना साथ नहीं होती तो यह आंकड़ा 75 के पार नहीं गया होता। ‘युति’ थी इसलिए गति मिली। ‘युति’ थी तब इसे कितनी सीटें मिली इसकी बजाय चुनाव से पहले ‘युति’ करते समय क्या करार हुआ था, वो महत्वपूर्ण है। शिवसेना को 56 सीटें मिलीं लेकिन श्री फडणवीस पहले निर्धारित शर्तों के अनुरूप शिवसेना को ढाई साल मुख्यमंत्री पद देने को तैयार नहीं हैं। पदों का समान बंटवारा ऐसा रिकॉर्ड पर बोले जाने का सबूत होने के बावजूद बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस पलटी मारते हैं और पुलिस, सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग की मदद से सरकार बनाने के लिए हाथ की सफाई दिखा रहे हैं। ये लोकतंत्र का कौन-सा उदाहरण है?”
“इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया उस दिन को काला दिन कहकर संबोधित करने वाले ऐसे क्यों बन गए हैं। इस पर हैरानी होती है। 24 तारीख को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद उसी दिन मुख्यमंत्री फडणवीस को बड़े अभिमान से ‘मातोश्री’ में जाकर पहले चर्चा शुरू करनी चाहिए थी। वातावरण तनावपूर्ण नहीं हुआ होता लेकिन 105 कमलों का हार मतलब अमरपट्टा कौन इसे छीनेगा? वर्ष 2014 की तरह शिवसेना तमाम शर्तें मान लेगी, सभी इस भ्रम में रहे। इस भ्रम को उद्धव ठाकरे ने पहले 8 घंटों में दूर कर दिया। वर्ष 2014 में शिवसेना सत्ता में शामिल हुई। अब शिवसेना वो जल्दबाजी नहीं दिखाएगी तथा घुटने टेकने नहीं जाएगी, ऐसी नीति उन्होंने अपनाई तथा व्यर्थ चर्चा का दरवाजा बंद कर दिया।”
“‘शिवसेना के बगैर बहुमत होगा तो सरकार बना लो, मुख्यमंत्री बन जाओ!’ यह सीधा संदेश श्री उद्धव ठाकरे ने दिया। श्री देवेंद्र फडणवीस के लिए आज पार्टी में कोई विरोधी अथवा मुख्यमंत्री पद का दावेदार शेष नहीं है। यह एक अजीबोगरीब संयोग है। श्री गोपीनाथ मुंडे आज होते तो महाराष्ट्र का दृश्य अलग दिखा होता तथा मुंडे मुख्यमंत्री बन ही गए होते तो युति में आज जैसी कटुता नहीं दिखी होती। श्री मुंडे का निधन हो गया. एकनाथ खडसे को पहले ही हाशिए पर डालकर खत्म कर दिया गया। इसके लिए गिरीश महाजन ने इंतजाम किया। अब ‘मुक्ताई नगर’ निर्वाचन क्षेत्र से खडसे की बेटी को भी पराजित कर दिया गया। पंकजा मुंडे पराजित हो गईं। विनोद तावड़े को घर बैठा दिया गया तथा चंद्रकांत पाटील को मुश्किलों में डाल दिया गया। फिर भी देवेंद्र फडणवीस सरकार नहीं बना सके तथा एक-एक निर्दलीय को जमा कर रहे हैं परंतु इस गुणा-गणित से 145 एकत्रित हो जाएंगे क्या?”