Maharashtra: सांसदों के बगावत के डर से झुके उद्धव ठाकरे और राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कर दिया बड़ा ऐलान

Maharashtra: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना सांसदों ने मुझ पर कोई दबाव नहीं बनाया है। उन्होंने मुझसे बस आग्राह किया है। ऐसे में उनकी राय को ध्यान में रखते हुए हम राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी के रूप में द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करेंगे।

Avatar Written by: July 12, 2022 6:45 pm
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है। जिसके बाद 21 जुलाई को देश को नया महामहिम मिल जाएगा। वहीं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवसेना में घमासान देखने को मिला। शिवसेना के अधिकांश सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला कर दिया। जिसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब अपने नेताओं के आगे घुटने ठेकने पर मजबूर होते दिखाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने के बाद अब उद्धव ठाकरे एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का पूरा मन बना लिया है। दरअसल शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

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शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना सांसदों ने मुझ पर कोई दबाव नहीं बनाया है। उन्होंने मुझसे बस आग्राह किया है। ऐसे में उनकी राय को ध्यान में रखते हुए हम राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी के रूप में द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करेंगे। शिवसेना प्रमुख ने इस बात पर भी खुशी जताई है कि पहली बार एक अनुसूचित जनजाति की महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। उद्धव ठाकरे का फैसला तब सामने आया है जब कल ही उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव पर मंथन के लिए शिवसेना के सांसदों की बैठक बुलाई थी। जिसमें अधिकतर सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की बात कही थी।

बताते चले कि इस बैठक में संजय राउत ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने की वकालत की थी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का मतलब भाजपा को सपोर्ट करना नहीं है। सवाल ये है कि एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करना उद्धव ठाकरे की मजबूरी है या फिर से भाजपा के करीब आने की कोशिश है।

उधर उद्धव ठाकरे के इस फैसले के बाद महाविकास अघाड़ी यानी एमवीए  में फूट पड़ सकती है क्योंकि शिवसेना की दोनों सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया है। लेकिन सीएम पद की कुर्सी गंवा चुके उद्धव ठाकरे को पार्टी में टूट पड़ने से बचने के लिए शिवसेना सांसदों की बात माननी पड़ी। लेकिन एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार को समर्थन देकर एमवीएम गठबंधन को झटका जरूर लगा है।