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#PopularFrontisSIMI: पॉपुलर फ्रंट है सिमी का दूसरा रुप, कट्टर संगठन पर बैन लगाने की मांग हुई तेज़

PopularFrontisSIMI: यूपी के जौनपुर जिले की केराकत विधानसभा से भाजपा(BJP) विधायक दिनेश चौधरी ने इस हैशटैग को आगे बढ़ाते हुए लिखा है कि, देशद्रोही संगठन पीएफआई को मैं बैन करने की मांग करता हूँ।

नई दिल्ली। देश में पिछले कुछ समय में कई ऐसे विवादास्पद गतिविधियां रहीं हैं, जिनमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) का नाम काफी चर्चा में रहा। CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन का मामला रहा हो या फिर यूपी के हाथरस जिलें में कथित सामूहिक दुष्कर्म के बाद जातीय हिंसा का मामला रहा हो, ऐसे तमाम मुद्दों से PFI का नाम जुड़ा। इसके अलावा अब मंगलवार को उत्तर प्रदेश की पुलिस ने इस संगठन के दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि केरल से आए PFI संगठन के दो आंतकियों को लखनऊ से UP एसटीएफ ने 16 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया है। इन आतंकियों के पास से विस्फोटक बरामद किया गया है। जिन्हें गिरफ्तार किया गया उनमें पीएफआई का कमांडर अन्सद बदरुद्दीन पुत्र बदरुद्दीन राउतर निवासी नसीमा मंजील मुडियोर कालम थाना पंदलम जिला पत्थानामथिट्टा, केरल और फिरोज खान पुत्र स्व. मोहम्मद निवासी कुजीचलीलनि उआकारा जिला कालीकट, केरल है। बता दें कि इस संगठन पर देश में कट्टरता और जिहाद फैलाने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में अब इसपर बैन लगाने की मांग तेज हो गई है।

PFI

बता दें कि ट्विटर पर #PopularFrontisSIMI हैशटैग काफी जोरों से ट्रेंड हो रहा है। इस हैशटैग पर लोग पीएफआई पर सिमी की तरह प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं। शहजाद जयहिंद ने इसपर लिखा है कि, अब समय आ गया है कि इस संगठन पर बैन लगाया जाए, लेकिन वोटबैंक की लालच में कुछ वोटबैंकजीवी इसे समर्थन देते रहेंगे।

वहीं यूपी के जौनपुर जिले की केराकत विधानसभा से भाजपा विधायक दिनेश चौधरी ने इस हैशटैग को आगे बढ़ाते हुए लिखा है कि, देशद्रोही संगठन पीएफआई को मैं बैन करने की मांग करता हूँ। उन्होंने इस हैशटैग पर अधिक से अधिक ट्वीट करने की मांग की है।

देखिए इस हैशटैग पर किस तरह के ट्वीट किए हैं…

क्या है सिमी

प्रतिबंधित संगठन सिमी की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी। इसका मकसद भारत को इस्लामिक राज्य में परिवर्तित करके भारत को आज़ाद कराने के एजेंडे पर काम करना है। पहली बार 2001 में इसे एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था और तबसे लेकर अब तक इसे कई बार प्रतिबंधित किया गया है। पिछली बार एक फरवरी 2014 को यूपीए सरकार ने इस पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंध की पुष्टि 30 जुलाई 2014 को एक न्यायाधिकरण ने की थी। ताजा जानकारी के मुताबिक इसपर प्रतिबंध 2019 में भी पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है।